तो क्या इस वजह से भारत में इतनी तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले?
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Why corona cases in India are rising to multiple peaks

कोरोना वायरस (Coronavirus) ने बहुत ही तेजी से भारत में अपने पांव पसारे हैं। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी (Johns Hopkins University) ने पाया है कि महज तीन हफ्ते में भारत कोरोना संक्रमण के मामलों में दुनिया में छठे से तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है। लाॅकडाउन के बाद भी भारत इसे संभाल पाने में नाकाम रहा है।

जहां COVID-19 के मामले भारत में 9 लाख को पार कर चुके हैं, वहीं मरने वालों की तादाद 24 हजार के करीब पहुंच गई है। रोजाना भारत में ढाई लाख से भी अधिक टेस्ट हो रहे हैं, मगर विशेषज्ञों का मानना है कि सवा सौ करोड़ की आबादी वाले देश के लिए नाकाफी है।

प्रतिबंधों में ढील देने के बाद

ग्लोबल हेल्थ रिसर्चर डाॅ अनंत भान का कहना है कि दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में मामले जहां तेजी से बढ़े हैं, वहीं छोटे शहरों में भी संक्रमण में इजाफा देखा जा रहा है, जब से प्रतिबंधों में सरकार की ओर से ढील दी गई है। जब तक टेस्टिंग की संख्या बढ़ती नहीं, तब तक वास्तविक आंकड़ों का पता चलना मुश्किल है।

संख्या की पूरी रिपोर्टिंग नहीं

वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल काॅलेज में महामारी के जानकार डाॅ जयप्रकाश मुलियाल ने कहा कि भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय यह जरूर कह रहा है कि भारत में प्रति 10 लाख की संख्या पर कोरोना से मरने वालों की संख्या 13 है, जबकि अमेरिका में यह 400 और ब्राजील में 320 है। हालांकि, भारत के संबंध में निश्चित रूप से इस आंकड़े को सही माना जा सकता, क्योंकि अधिकतर जगहों से मरने वालों की संख्या की रिपोर्टिंग ही नहीं हो रही है।

दुनिया के विपरीत परिदृश्य भारत में

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि भारत में कोरोना वायरस से हुई मौतों में 43 फीसदी संख्या 30 से 60 साल के मरीजों की है, जबकि दुनिया भर में हो रहे शोध बताते हैं कि बुजुर्ग इससे अधिक संख्या में मर रहे हैं। मुलियाल के मुताबिक कोरोना की वजह से मरने वाले बहुत से बुजुर्ग इसमें गिने नहीं जा रहे हैं।

लापरवाही पड़ी भारी

भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति भी चिंताजनक नजर आ रही है। केरल, जहां कि कोरोना के सबसे पहले तीन मामले प्रकाश में आये थे, आज वह आदर्श बन गया है, क्योंकि उसने शुरुआत में ही कोरोना के मामलों को पकड़ा। पहचान की। इलाज किया। वहीं दिल्ली, जो कि राष्ट्रीय राजधानी है, वहां कोरोना के मामले बहुत ही तेजी से बढ़े हैं। कोरोना से निपटने में उसकी असफलता के लिए हर ओर राज्य की आलोचना हो रही है। यहां तक कि दिल्ली के पास बेड कम पड़ गये, तो रेलवे मंत्रालय ने 500 रेलवे डिब्बों को अस्थाई मेडिकल वार्ड में बदल दिया है।

चिंता का सबब

जाॅर्जटाउन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर जिष्णु दास के मुताबिक अनुभवी स्वास्थ्यकर्मियों की कमी भी अब भारत में धीरे-धीरे परेशानी का सबब बनती जा रही है। राज्यों में आपसी समन्वय की कमी की वजह से स्वास्थ्यकर्मियों का आदान-प्रदान करके स्थिति को संभालने की भी संभावना कम ही नजर आती है।

टीकों का ट्रायल अलग-अलग चरणों में

वर्तमान में भारत में सात टीकों का ट्रायल अलग-अलग चरणों में है। भारत बायोटेक और आईसीएमआर भी इसमें जुटे हैं। भारत में सर्वाधिक टीके पुणे स्थित The Serum Institute of India द्वारा बनाये जाते हैं। नीति आयोग के अनुसार वर्तमान में भारत हर दिन 1000 वेंटिलेटर और 6 लाख PPE Kit तैयार कर रहा है। चीन के बाद भारत पीपीई किट के निर्माण में दुनिया में दूसरे नंबर पर आ गया है।

आने वाला समय भारत के लिए बहुत कठिन साबित होने वाला है। ऐसे में आमजनों का सहयोग भी बहुत जरूरी होगा। तभी जाकर कोरोना के रफ्तार पर कुछ लगाम कसी जा सकेगी।

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