कोरोना भी हारेगा, चाणक्य की नीतियों का पालन करने भर की देर है
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Chanakya niti could be effective while fighting corona virus

कोरोना क्विक अपडेट

  • स्वास्थ्य मंत्रालय के 15 मई 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अभी कोरोना के 3673802 एक्टिव केस हैं, 20432898 लोग ठीक हो चुके हैं और 266207 की मृत्यु हो चुकी है।
  • वेबसाइट वर्ल्डमीटर्स.इनफो के मुताबिक, भारत कोरोना से मृत्यु के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना से पूरी दुनिया में अब तक 16,15,13,458 लोग संक्रमित हुए हैं और 33,52,109 लोग दम तोड़ चुके हैं।
  • कोरोना के बारे में अफवाहों से बचने और पल-पल की सही जानकारी व ख़बरें प्राप्त करने के लिए जुड़े रहें https://tanman.org/ के साथ।

कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कोई माने-न-माने अप्रत्यक्ष तौर पर इंसान भी खुद इसके लिए कहीं-न-कहीं जिम्मेवार तो है ही। जब इंसान प्रकृति की नहीं सुनेगा तो प्रकृति किसी-न-किसी रूप में तो कहर बरपायेगी ही। बीमारी, गरीबी, संघर्ष और अन्य समस्याओं के बारे में आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के 14वें अध्याय में लिखा है कि इन सभी के लिए कोई और नहीं, खुद इंसान के कुकर्म जिम्मेवार हैं। वैसे, आचार्य चाणक्य की कई नीतियां यह भी बताती हैं कि महामारी की स्थिति में इसका सामना किस तरह से किया जाए और इससे पार कैसे पाया जाए।

पूरे खमाज के लिए खतरनाक

आचार्य चाणक्य ने कहा था कि महामारी इतनी खतरनाक चीज है कि यह हर उस चीज पर अपना डालती है, जो सामाजिक ढांचे को बुनने का काम करता है। एक बार यह फैल जाए तो इसकी चपेट में आने से शायद ही कोई बच पाता है। पूरा समाज, पूरा देश इसकी चपेट में आने लगता है। इसलिए इसे रोकना सबसे पहली प्राथमिकता बन जाती है।

पहचानें अफवाहों को और रहें उनसे दूर

चाणक्य नीति में एक बड़ी महत्वपूर्ण बात अफवाहों को लेकर भी कही गई है। इसके मुताबिक जितनी तेजी से अपने पैर महामारी फैलाती है, उससे भी दोगुनी तेजी से अफवाह भी इस वक्त फैलते हैं। यह एक बेहद नाजुक पल होता है। ऐसे में यह पहचानना जरूरी है कि कौन-सी जानकारी सही है और कौन-सी अफवाह। साथ ही खुद भी अफवाह फैलाने का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। इससे स्थिति नियंत्रण में आने की बजाय और बाहर हो जाती है, जिसका खामियाजा हर किसी को भुगतना पड़ सकता है।

जरूरी है कोई गलत कदम न उठाना

चाणक्य नीति महामारी को लेकर कहती है कि इसकी रोकथाम के लिए बहुत जरूरी है कि जो भी कदम उठाए जाएं, उसके पीछे पूरी तरह से सोच-विचार कर लिया गया हो। इस दौरान एक छोटी सी चूक और हल्की सी लापरवाही घातक साबित हो सकती है। यही नहीं, जिन लोगों को यह महसूस होता है कि सीधे-सीधे महामारी की रोकथाम करने में वे समर्थ नहीं हैं, उन्हें कम-से-कम बिना कोई लापरवाही बरते या कोई और समस्या खड़ा किये बिना जो लोग इसकी रोकथाम में लगे हैं, उनकी मदद करनी चाहिए।

नजदीकियों को दूरियों में बदलें

भले ही आम तौर पर यह कहा जाता है कि आपस की दूरियां मिटाइए, लेकिन महामारी चाणक्य नीति के अनुसार एक ऐसा वक्त होती है, जब दूर-दूर रहने में ही भलाई छिपी होती है। आचार्य चाणक्य ने कहा था, जितना लोग एक जगह पर जमा होंगे, उतनी आशंका प्रबल होती जायेगी महामारी के फैलाव की। जितनी लोग दूरियां बरतेंगे एक-दूसरे से, महामारी उतनी जल्दी विलुप्त होती जायेगी। चाणक्य नीति यह भी कहती है कि जहां स्वच्छता है, वहां न तो कोई बीमारी है और न ही महामारी। इसलिए जब महामारी फैल जाए तो साफ-सफाई भी बहुत ही जरूरी है।

महामारी वक्त है कटुता भुलाने का

युद्ध से कम नहीं है महामारी। दुश्मन को आप देख रहे हैं युद्ध में, पर महामारी में नहीं। चाणक्य नीति कहती है कि महामारी एक ऐसी आपदा है, जिसका सामना खंड-खंड में बंटकर नहीं, बल्कि एकजुट होकर, संगठित होकर करना पड़ता है। चाहे जो भी कटुता हो आपस में, चाहे कितना भी खून खौले एक-दूसरे को देखकर, चाहे कितनी भी ईष्र्या हो एक-दूसरे के प्रति, चाहे कितना भी द्वेष हो एक-दूसरे के लिए, लेकिन इस वक्त जान लेना चाहिए कि दुश्मन कोई तीसरा है। इसलिए एकता के साथ, अखंडता के साथ, एकजुटता के साथ महामारी को परास्त करने के लिए हर किसी को आगे आना चाहिए।

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