कोरोना के अलावा अगले 5 वर्षों में काल बनकर टूटेंगी ये बीमारियां, शोध में खुलासा
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HIV, TB, and malaria deaths to increase in next 5 years

इसमें कोई शक नहीं कि कोरोनावायरस इस वक्त दुनिया के अन्य देशों के साथ भारत के लिए भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। हर किसी का ध्यान इस वक्त कोरोनावायरस पर ही टिका है। हालांकि, कोरोना के चक्कर अन्य गंभीर बीमारियों जैसे कि टीबी, एड्स और मलेरिया पर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जितना कि दिया जाना चाहिए।

ऐसे में The Lancet Global Health में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, भारत सहित कई विकासशील देशों में आने वाले समय में टीबी, एड्स और मलरिया की वजह से मरने वाले मरीजों की तादाद में जबर्दस्त इजाफा देखने को मिल सकता है।

कितने बढ़ सकते हैं मौत के मामले?

अगले पांच वर्षों में इन बीमारियों से होने वाली मौत का आकलन इस शोध में किया गया है। The Lancet Global Health ब्रिटेन की एक प्रतिष्ठित शोध पत्रिका है और इसी में यह आकलन प्रकाशित किया गया है।

  • टीबी की वजह से अगले पांच वर्षों में 20 फीसदी अधिक मरीज मर सकते हैं।
  • एड्स के कारण मरने वाले मरीजों की संख्या में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।
  • उसी तरह से अगले पांच वर्षों में मलेरिया केे कारण मरने वालों की तादाद में 30 फीसदी का इजाफा हो सकता है।

क्यों बढ़ने वाली है मौत की दर?

  • वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत सहित विकासशील देशों का पूरा ध्यान इस वक्त कोरोना पर है, जिसकी वजह से बाकी गंभीर बीमारियों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जा रहा है।
  • टीबी, एड्स और मलेरिया के खिलाफ प्रभावी रणनीति तैयार नहीं किये जाने से ये विकराल रूप धारण कर सकते हैं।
  • बीते 6 माह में भारत के साथ लगभग सभी विकासशील देश केवल कोरोना पर ही ध्यान दे रहे हैं।

शोधकर्ता ने क्या बताया?

शोध का नेतृत्व करने वाले लंदन के इंपीरियल काॅलेज के प्रोफेसर टिमोथी हैलेट (Professor Timothy Hallett) ने बताया कि जिस तरह से भारत व विकासशील देशों ने कोविड-19 (COVID-19) की वजह से पैदा हुई चुनौतियों का सामना करने में ही अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, वैसे में टीबी, एड्स और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों के खिलाफ लड़ाई कमजोर हुई है। इसकी वजह से आगामी पांच वर्षों में गंभीर परिणाम इन देशों को भुगतने पड़ सकते हैं।

भयावहता बयान करते आंकड़े

  • अफ्रीका के उप सहारा इलाकों में वर्ष 2018 में मलेरिया से 3 लाख 80 हजार लोगों की जान चली गई थी।
  • दुनिया भर में वर्ष 2019 में एचआईवी/एड्स से 6 लाख 90 हजार लोगों की मौत हो गई थी।
  • वर्ष 2018 में टीबी से दुनिया भर में 10 लाख 80 हजार लोगों की जान चली गई थी।

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