विश्व को कोरोना से बचा सकता है आयुर्वेद, एहतियाती तौर पर इन 7 बातों को गाँठ बांध लें
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Ayurveda has potential to protect the world from COVID-19 : Abhiranjan Kumar

अभिरंजन कुमार जाने-माने पत्रकार, कवि और मानवतावादी चिंतक हैं। कई किताबों के लेखक और कई राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय समाचार चैनलों के संपादक रह चुके अभिरंजन फिलहाल न्यूट्रल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं।


मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ कि आयुर्वेद नीम-हकीमों की विद्या है और यह लोगों को कोरोना से बचाने में अपना योगदान नहीं कर सकता। मेरी अंतरात्मा कहती है कि अगर आयुर्वेद की सारी शक्तियां एकजुट होकर कोरोना का बचाव और इलाज ढूंढने में लग जाएं और सरकार उन्हें पर्याप्त सहायता व अवसर प्रदान करे, तो वह दुनिया की अन्य सभी विद्याओं से पहले अधिक प्रभावशाली बचाव और यहाँ तक कि इलाज भी ढूंढ सकती हैं।

जब मुझे आयुर्वेद की क्षमताओं का हुआ अहसास

मैं व्यक्तिगत आयुर्वेद की शक्तियों से वाकिफ भी हूँ और चमत्कृत भी हूँ और इसीलिए अपनी स्वास्थ्यगत समस्याओं के लिए पिछले 15 साल से लगभग पूरी तरह आयुर्वेद पर ही निर्भर हूँ। आयुर्वेद पर मेरी यह निर्भरता इसलिए बनी, क्योंकि पित्त से जुड़ी मेरी एक समस्या पेट की समस्याओं के लिए दिल्ली के संभवतः सबसे बड़े अस्पताल पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट, मेरी नज़र में दिल्ली के सबसे बड़े लुटेरे अस्पताल अपोलो अस्पताल, और आधुनिक मेडिकल साइंस के अनेक महान डॉक्टरों से भरे देश के सर्वश्रेष्ठ अस्पताल एम्स के इलाज से भी ठीक नहीं हुई। करीब एक साल तक परेशान रहकर, अस्पतालों में कई दिन भर्ती रहकर, इंडोस्कोपी कोलोनोस्कोपी इत्यादि भारी-भरकम जांचें करवाकर, इन जांचों के दौरान एनेस्थीसिया के असर में कई घंटे बेहोश रहकर और हज़ारों रुपए खर्च करके भी जब यह समस्या ठीक नहीं हुई, तब एक मित्र की सलाह पर निज़ामुद्दीन में वैद्य पद्मविभूषण वृहस्पति देव त्रिगुणा जी (अब स्वर्गवासी) से मिला। उन्होंने 10-15 सेकंड नाड़ी देखी और एक मिनट के अंदर दवा लिखकर मुझे चलता कर दिया। मुझे लगा कि उन्होंने मेरी पूरी बात भी नहीं सुनी और मेरी तरफ सिर उठाकर भी नहीं देखा। लेकिन उन्होंने कोई चूर्ण और एक पीने वाली दवा लिखी, जो उन्हीं के औषधालय से करीब 125 रुपये में मिली। फीस वे लेते नहीं थे, क्योंकि वे आयुर्वेद की संत परंपरा के महान वैद्य थे। इस 125 रुपये के इलाज से मेरी समस्या एक सप्ताह में ही जाती रही, जो एक साल बड़े-बड़े अस्पतालों के चक्कर काटकर और हज़ारों रुपये खर्च करके भी ठीक नहीं हुई थी।

इसके बाद भी मैंने कई बार आयुर्वेद के चमत्कार देखे। इसलिए आज भी मेरा मानना है कि वायरल इंफेक्शन को रोकने के लिए या गले, नाक और फेफड़ों में संक्रमण को रोकने के लिए आयुर्वेद से बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता। इसलिए सरकार को कोरोना से लड़ाई में आयुर्वेद को सशक्त बनने के लिए हर ज़रूरी मौका और मनोबल देना चाहिए। जब किसी कारण से समस्या अत्यंत गंभीर हो जाए तो उसके लिए कथित मॉडर्न मेडिकल साइंस का इस्तेमाल बेशक किया जाए, लेकिन इसकी रोकथाम के लिए आयुर्वेदिक संस्थाओं और वैद्यों को सबल बनाया जाए और उन्हें आवश्यक रिसर्च करने के लिए प्रेरित किया जाए।

अगर आयुर्वेद लोगों में समस्या पैदा ही न होने दे या समस्या पैदा हो जाने पर शुरू में ही उसे खत्म कर दे और फिर भी अगर किसी की समस्या गंभीर रूप धारण कर ले, तो पाश्चात्य मेडिकल साइंस उसे हैंडल कर ले, तो देश में आशंकित बड़ी जनहानि को सफलतापूर्वक रोका या नियंत्रित किया जा सकता है।

कोरोना से बचाव के लिए 7 सूत्र

लेकिन जब तक ऐसा कोई बचाव और इलाज उपलब्ध नहीं है, तब तक इन सात बातों को गांठ बांध लें-

1. आरोग्य सेतु ऐप ज़रूर डाउनलोड कर लें और उसमें अपनी सही-सही जानकारी फीड करें, ताकि सरकार को आपके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में पता रहे और आवश्यक होने पर वह आपको ज़रूरी सहायता व चिकित्सा मुहैया करा सके।

2. जब तक अनिवार्य नहीं हो, घर से बिल्कुल मत निकलें। चाहे सरकार लॉक डाउन हटा दे या उसमें ढील दे दे, फिर भी यदि आप आवश्यक/जीवनरक्षक सेवाओं से नहीं जुड़े हैं, तो यथासंभव घर में ही रहें।

3. अगर घर से बाहर निकलें तो तीन लेयर वाला मास्क इस्तेमाल करें। गमछा अच्छा है, लेकिन अगर इससे भी तीन लेयर वाला मास्क बना सकें तो बेहतर। पारदर्शी, जालीदार, पतले गमछे और दुपट्टे किसी काम के नहीं हैं।

4. घर से बाहर हैं और मास्क भी लगाए हुए हैं, फिर भी सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करें। सामान्य दिख रहे आदमी से दो गज की दूरी काम कर सकती है, लेकिन असामान्य दिख रहे यानी खांसते, छींकते, थूकते व्यक्ति से कम से कम चार मीटर की दूरी बरतें। अगर उसे तत्काल आपकी सहायता की ज़रूरत हो, तो संक्रमण के डर से उसकी सहायता करने के मानव धर्म से मुँह नहीं मोड़ें, लेकिन उसके पास पूरी तैयारी करके यानी पूरी तरह कवर होकर जाएं और प्रशासन द्वारा मुहैया कराए गए कोविड हेल्पलाइन नंबरों पर अविलंब सूचित करें। इसके लिए हर व्यक्ति अपने इलाके के ज़रूरी नंबर याद रखें या मोबाइल में सेव रखें या ऐसी जगह दर्ज रखें, कि आप पल भर में इन्हें देख सकते हैं। आरोग्य सेतु ऐप के ज़रिए भी हेल्पलाइन पर संपर्क किया जा सकता है। राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1075 है।

5. किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह से उचित मात्रा में उचित आवृत्ति के साथ आयुर्वेदिक काढ़ा का सेवन करते रहें।

6. अगर गले या नाक में हल्का भी इंफेक्शन या एलर्जी महसूस हो तो तुरंत सतर्क हो जाएं। किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ से संपर्क करें और उसकी सलाह से आवश्यक उपाय तुरंत शुरू कर दें। जैसे, गर्म नमक पानी से गार्गल करना, गुनगुने या बर्दाश्त करने लायक गर्म पानी के कुछ घूंट पीना, गर्म दूध या गर्म पानी के साथ हल्दी लेना, लौंग-तुलसी-अदरक-गिलोय-काली मिर्च-हल्दी आदि से बना काढ़ा पीना इत्यादि। वैद्य की सलाह से कासनी, श्वासामृतमु, सितोपलादि चूर्ण, च्यवनप्राश आदि दवाओं में से जिनकी ज़रूरत हो और जो आसानी से उपलब्ध हों, उनका भी सेवन किया जा सकता है।

7. अगर बुखार या सांस में दिक्कत जैसी समस्या महसूस हो तो बिना विलंब अपने पारिवारिक/नज़दीकी डॉक्टर और प्रशासन से संपर्क करें।

उपरोक्त सातों उपाय और सावधानियां उन लोगों के लिए हैं, जो किसी कोविड-19 मरीज या संक्रमण के संदिग्ध व्यक्ति के संपर्क में नहीं आए हैं। जो लोग कोविड-19 मरीज या संक्रमण के संदिग्ध व्यक्ति के संपर्क में आ चुके हैं, उन्हें बिना किसी देरी के सरकार और प्रशासन को इसकी जानकारी देनी चाहिए और सख्ती से उसके निर्देशों का पालन करना चाहिए। मैं यह मानकर चल रहा हूँ कि जो भी लोग हाल-फिलहाल विदेशों से आए हैं या लाए गए हैं, वे सभी सरकार की जानकारी या निगरानी में हैं अथवा निगरानी की अवधि पूरी कर चुके हैं।

अंत में, यह स्पष्ट कर दूं कि मैं कोई डॉक्टर या वैद्य नहीं हूँ, अपितु आपके जैसा ही आपका एक प्रिय भाई हूँ, जिसमें ज्ञान और विद्वता की बहुत कमी है, लेकिन हृदय बिल्कुल साफ है। चाहता हूं कि किसी भी तरह यह विपत्ति हमसे, आपसे, देश से और विश्व से टल जाए। बस इसी भावना के कारण विशेषज्ञ नहीं होते हुए भी कुछ सलाहें दी हैं। इसलिए इनमें से चिकित्सा-संबंधी किसी भी सलाह को किसी योग्य वैद्य या डॉक्टर से पूछकर ही अमल में लाएं। शुक्रिया और शुभकामनाएं।

(अभिरंजन कुमार के फेसबुक पेज से साभार)

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