क्या हर छह महीने पर कोरोना वैक्सीन लेनी होगी, यह जानते हुए भी कि इनसे संक्रमण नहीं रुक रहा?
कृपया शेयर करें ताकि अधिक लोग लाभ उठा सकें

अभिरंजन कुमार जाने-माने पत्रकार, कवि और मानवतावादी चिंतक हैं। कई किताबों के लेखक और कई राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय समाचार चैनलों के संपादक रह चुके अभिरंजन फिलहाल न्यूट्रल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं।


ऐसा लगता है कि कोरोना की चौथी लहर की दस्तक हो चुकी है। राजधानी दिल्ली के पिछले कुछ दिनों के आंकड़े इसका संकेत कर रहे हैं। हालांकि जिस XE वेरिएंट को इसका कारण माना जा रहा है, उसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया ने ओमिक्रोन का ही सब-वेरिएंट बताया है। तीसरी लहर में ओमिक्रोन के कारण भारत में संक्रमण तो बहुत तेज़ गति से फैला था, लेकिन दूसरी लहर की तरह ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ था।

इन सबके बीच मेरे मन में वैक्सीनों को लेकर शुरू से ही सवाल थे, जो आज भी कायम हैं। हालांकि मेरे सवाल विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा नकारात्मक राजनीति के कारण उठाए जा रहे सवालों से अलग विशुद्ध व्यावहारिक (और शायद वैज्ञानिक भी) सवाल थे। ये सारी वैक्सीनें नए कोरोना वायरस को बिना ठीक से समझे बेहद हड़बड़ी में बनाई गई थीं। लगभग सभी वैक्सीनों को बिना प्रॉपर ट्रायल के इमरजेंसी मंजूरी दी गई। इसलिए मुझे शुरू से यह लगता रहा कि दावे चाहे कुछ भी हों, लेकिन इनका लाभ न के बराबर होना है।

हालांकि यह बात मैं एक बार संकेतों में बोलकर बस इसलिए चुप हो गया था कि यदि लोगों को इसका थोड़ा भी फायदा मिल रहा हो, या कम से कम इतना मनोवैज्ञानिक लाभ भी मिल रहा हो कि हम प्रोटेक्टेड हैं या डरने की कोई बात नहीं है, तो इसे चलने दिया जाए।

लेकिन आज थोड़ा अधिक खुलकर इसलिए बोलना चाहता हूं, क्योंकि इतना तो कन्फर्म हो चुका है कि वैक्सीनें हमें संक्रमण से सुरक्षा नहीं दे पा रही हैं। हां, जीवन की सुरक्षा कितना कर पा रही हैं, कितना नहीं कर पा रही हैं, इसके बारे में अब भी मिश्रित राय हो सकती है।

इसलिए अब समय आ गया है कि या तो पुरानी वैक्सीनों की ईमानदारी से समीक्षा की जाए, या फिर कुछ नई वैक्सीनें आएं, जो पहले से अधिक रिसर्च करके, ज़्यादा समय लेकर और अधिक प्रामाणिकता से ट्रायल करके तैयार की गई हों।

याद कीजिए, शुरू में वैक्सीन की एक ही डोज को रामबाण बताया गया था। फिर दो डोज को रामबाण बताया गया। फिर बूस्टर डोज को रामबाण बताया गया। लेकिन तथ्य यह है कि दुनिया के कई देशों में अब वैक्सीन की चौथी डोज़ लगाई जा रही है, फिर भी सुरक्षा की गारंटी नहीं है और डर का माहौल कायम है। लगभग हर वक्त किसी न किसी देश/देशों में कोरोना का कहर चल ही रहा है, कभी रुका नहीं है।

यदि ऐसे ही चलता रहा तो संभव है कि लोगों को हर छह-आठ महीने पर वैक्सीनें भोंकी जाती रहेंगी और लोग फिर भी संक्रमित होते रहेंगे। हां, जो संक्रमण से आसानी से रिकवर हो जाएंगे, वे इसका क्रेडिट इन वैक्सीनों को अवश्य दे सकते हैं। लेकिन यह भी तो सच है कि

1. अब लोग कोरोना को पहले से अधिक समझने लगे हैं

2. पहले से अधिक सावधान हो गए हैं

3. पहले से बेहतर उपचार कर ले रहे हैं

4. हर व्यक्ति में कुछ नेचुरल इम्युनिटी भी डेवलप हो गई है

5. हो सकता है हर्ड इम्युनिटी भी डेवलप हुई हो, और

6. स्वास्थ्य सुविधाएं भी पहले से बेहतर हो गयी हैं!

तो पहले की तुलना में अब कम मृत्यु दर का क्रेडिट क्या अकेले वैक्सीनों को दिया जा सकता है?

इसके अलावा, इस बात पर भी तो विचार करना होगा कि कोरोना से सुरक्षा के नाम पर हर छह-छह महीने पर हम जो वैक्सीनें लेंगे, हमारे शरीर के विभिन्न अंगों अथवा हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर उनके क्या दूरगामी प्रभाव होंगे? क्या कुछ भी साइड इफैक्ट नहीं होगा? क्या यह संभव है?

इसलिए आप सहमत हों या न हों, मैंने पहले भी कहा था और आज फिर से कह रहा हूँ कि कोरोना से भारत की सर्वाधिक सुरक्षा आयुर्वेद ने की थी और सर्वाधिक नुकसान कथित मॉडर्न मेडिकल साइंस द्वारा संचालित लूटखोर अस्पतालों ने पहुंचाया था। यह एक ऐसा बिंदु था, जिसपर मेरी राय बाबा रामदेव की राय से लगभग मैच कर रही थी। हालांकि बाबा रामदेव ने जिस लहजे में इस मुद्दे को उठाया था, मैंने उसका समर्थन नहीं किया था।

इसलिए मैं तो कहूंगा कि चूंकि कोरोना अब जाने वाला नहीं है और अगले कुछ साल यह हर छह-छह महीने पर परेशान करता रहेगा, इसलिए सरकार, अस्पतालों और वैक्सीनों पर निर्भर होने के बजाय हमें निम्नलिखित तीन चीज़ों को मिलाकर अपना सुरक्षा मॉडल विकसित कर लेना चाहिए–

1. प्राकृतिक तरीके से अपनी इम्युनिटी बढ़ाना

2. अधिकतम सावधानी बरतना, और

3. योग/आयुर्वेद को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लेना; क्योंकि योग/आयुर्वेद एक जादू है, ईश्वरीय वरदान है और मानवता के लिए हमारे पूर्वजों द्वारा की गई सर्वोत्तम खोज है।

धन्यवाद।

(अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार)

अभिरंजन कुमार के फेसबुक पोस्ट पर यदि आप भी कोई टिप्पणी करना चाहते हैं तो यहां जाएं-

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस वेबसाइट पर स्वास्थ्य से संबंधित सभी सामग्रियां केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रकाशित की गई हैं और ये पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं हैं। इसलिए अपने स्वास्थ्य या किसी मेडिकल कंडीशन के बारे में यदि आपके मन में कोई सवाल हैं, तो हमेशा किसी योग्य चिकित्सक या अन्य योग्य स्वास्थ्य पेशेवर का मार्गदर्शन लें। यदि आपको लगता है कि आपको कोई मेडिकल इमरजेंसी हो सकती है, तो तुरंत अपने डॉक्टर अथवा आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें, या फिर अपने नजदीकी अस्पताल के आपातकालीन विभाग में जाएं। कृपया यह भी ध्यान रखें कि विज्ञापनों में अथवा बाहरी लिंक के सहारे इस वेबसाइट से बाहर ले जाने अन्य वेबसाइटों पर किए गए दावों के लिए तनमन.ओआरजी की टीम ज़िम्मेदार नहीं है।



error: Content is protected !!