ऑक्सफोर्ड के टीके से जगी उम्मीद, भारत में भी बड़े पैमाने पर उत्पादन की तैयारियां शुरू
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If Oxford-AstraZeneca vaccine get success, what would be it’s price?

पूरी दुनिया को कोरोनावायरस के टीके का बेसब्री से इंतजार है। ऐसे में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दुनिया भर में उम्मीद की किरण जगा दी है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जिस वैक्सीन Oxford-AstraZeneca का ट्रायल किया गया है, उसे अब तक सफल बताया जा रहा है। इसीलिए अब इस टीके के उत्पादन की तैयारी भी बड़े स्तर पर शुरू कर दी गई है, ताकि यदि यह प्रयोग अंतिम रूप से भी सफल रहता है, तो इसके उत्पादन में अनावश्यक देरी न हो।

कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं

  • द लांसेट नामक मेडिकल जर्नल में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार किए गए इस टीके के परीक्षण के जो परिणाम प्रकाशित किए गए हैं, उसमें बताया गया है कि पहले चरण में इसके ट्रायल के नतीजे सकारात्मक रहे हैं।
  • अभी तक किसी तरह का कोई गंभीर साइड इफेक्ट इस टीके का नहीं दिखा है।
  • एंटीबॉडी भी यह शरीर में विकसित कर रहा है।

अंतिम नतीजे नवंबर तक

  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जो टीका बनाया है, उसके अंतिम नतीजे नवंबर तक आने की संभावना है।
  • इस टीके का दुनिया के कई देशों में मानव परीक्षण लगातार चल रहा है और अब तक जो भी ट्रायल हुए हैं, उनके नतीजे सकारात्मक रहे हैं।

भारत में भी उत्पादन की तैयारियां शुरू

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में ऑक्सफोर्ड (Oxford) के इस टीके का उत्पादन दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) करेगी। कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला (Adar Poonawalla) के मुताबिक, इस प्रक्रिया के लिए अगस्त में तीसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू किया जाएगा, जिसमें करीब 4 से 5 हजार स्वयंसेवकों पर इसका परीक्षण किया जाना है।

अदार पूनावाला का कहना है कि इस वैक्सीन के अंतिम रूप से सफल रहने की उम्मीद में इसके उत्पादन की तैयारियां शुरू करके हमने एक तरीके से जोखिम उठाया है। यदि यह टीका अगले चरण में विफल हो जाता है तो हमें इसका काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।

इतनी होगी कीमत

अब सवाल यह उठता है कि यदि यह टीका बाजार में आ जाता है तो इसकी कीमत कितनी होगी?

  • इस बारे में अदार पूनावाला की ओर से बताया गया है कि इसकी कीमत लगभग 1000 रुपये या फिर इससे कम भी हो सकती है।
  • उन्होंने यह भी बताया कि इस वक्त कोरोनावायरस की चपेट में पूरी दुनिया है। ऐसे में उनकी यही कोशिश रहेगी कि इसके दाम को न्यूनतम रखा जाए। शुरुआत में किसी तरह का लाभ कमाने का उनका उद्देश्य नहीं होगा।
  • पूनावाला ने बताया है कि शुरुआत में इस तरीके की बड़े स्तर पर मांग होने वाली है। ऐसे में इसके उत्पादन से लेकर इसके वितरण तक के लिए बड़ी सरकारी मशीनरी की आवश्यकता पड़ेगी।

दो साल लगेंगे सबको टीका लगाने में

  • सिरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि भारत में यदि सभी लोगों को यह टीका लगाया जाए तो इसमें लगभग 2 वर्षों का समय लग सकता है।
  • भारत में अगस्त में इस टीके के तीन परीक्षण किए जाने हैं।
  • सिरम इंस्टीट्यूट को इस बात की उम्मीद है कि इसके नतीजे भी सकारात्मक आएंगे।
  • ट्रायल पूरे होने में 2 से ढाई महीने का वक्त और लग सकता है।
  • इसके बाद यदि भारत सरकार से इसे मंजूरी मिल जाएगी, तभी यह टीका लोगों को लगाया जा सकेगा।

आधा स्टॉक भारत के लिए

  • सिरम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार किए जाने वाले Oxford-AstraZeneca के आधे स्टॉक को भारत के लिए तैयार किया जाएगा।
  • इसका अर्थ यह हुआ कि जो 6 करोड़ शीशियां तैयार की जाएंगी, उनमें से 3 करोड़ शीशियां भारत को मिलने वाली हैं।

दिसंबर तक 30 से 40 करोड़ डोज

  • अदार पूनावाला के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि वे इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वाले हैं। इस टीके के लिए वे इसी हफ्ते अनुमति भी लेने वाले हैं।
  • पूनावाला के मुताबिक ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन Oxford-AstraZeneca की 30 करोड़ से 40 करोड़ डोज बनाने में वे दिसंबर तक कामयाब हो जाएंगे।

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