इस कोविड-19 टीके के शुरुआती नतीजों से बढ़ा उत्साह, पर कुछ साइड इफैक्ट भी आए सामने
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Early trial of Covid-19 vaccines by Pfizer, BioNtech seems promising

कोरोना (Coronavirus) पर प्रहार के लिए दुनिया भर में कोशिशें चल रही हैं, जिसके तहत दवा और वैक्सीन बनाने के सैकड़ों प्रयास जारी हैं। इसी बीच, दवा क्षेत्र की दो बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां फाइजर (Pfizer) और बायोएन्टेक (BioNTech) भी साथ मिलकर एक टीका विकसित करने में जुटी हुई है। फाइजर अमेरिकी कंपनी है, जबकि बायोएन्टेक जर्मन कंपनी है।

medRXiv में इस बारे में एक पेपर प्रकाशित किया गया है। पीफिजर रिसर्च लैबोरेटरीज में मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी के तौर पर काम कर रहे फिलिप डोर्मिटाइजर (Philip Dormitzer) ने बताया कि इस टीके के शुरुआती ट्रायल के नतीजे सकारात्मक रहे हैं, हालांकि अब भी हमें लंबा सफर तय करना है। फिलहाल यह कहा जा सकता है कि टीका सुरक्षित है और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में कारगर साबित होता दिख रहा है।

यूं किया अध्ययन

इसके लिए 18 साल से लेकर 55 साल की उम्र के 45 स्वस्थ लोगों का चुनाव किया गया। उन्हें तीन अलग तरह का डोज दिया गया और कुछ को डमी वैक्सीन दी गई। 12 लोगों को 10 माइक्रोग्राम, 12 लोगों को 30 माइक्रोग्राम की इन्जेक्शन दी गई, जबकि 12 लोगों को 100 माइक्रोग्राम दवाई का डोज दिया गया। नौ लोगों को डमी इन्जेक्शन की दो डोज दी गई।

शुरुआती ट्रायल में दिखे साइड इफैक्ट

हालांकि इस वैक्सीन के शुरुआती क्लिनिकल ट्रायल में कुछ साइड इफैक्ट भी देखने को मिले हैं।

  • जिन्हें 100 माइक्रोग्राम दवाई दी गई, उनमें से आधे को बुखार आया। फिर उन्हें इस स्टेज पर दूसरा डोज नहीं दिया गया।
  • अन्य डोज वालों को जब तीन हफ्ते के बाद दूसरा टीका दिया गया तो 10 माइक्रोग्राम वाले में से 8.3 प्रतिशत मरीजों को, जबकि 30 माइक्रोग्राम डोज वाले में 75 फीसदी मरीजों को बुखार चढ़ा।
  • कुछ को नींद आने में समस्या की शिकायत हुई।
  • हालांकि किसी की भी समस्या गंभीर नहीं रही। किसी को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं आई।

एंटीबाॅडी करता है विकसित

शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस टीके में SARS-CoV-2 वायरस के प्रति शरीर में एंटीबाॅडी विकसित करने की क्षमता है। यही वह वायरस है, जो COVID-19 के फैलने के लिए जिम्मेवार है। यह टीका इस वायरस को फैलने से रोक सकता है। अब पीफिजर यह पता लगाने की दिशा में काम कर रही है कि दवाई का अधिक डोज देने से वायरस के प्रति शरीर में बचाव विकसित होता है या नहीं। शोध का मकसद यह पता लगाना है कि इस टीके को लगाने से लोगों में कोविड-19 के संक्रमण में आने की आशंका 50 फीसदी तक घट जाए। चार टीकों का परीक्षण चल रहा है, जिसमें से एक पर विस्तृत अध्ययन होगा।

आगे के अध्ययनों में गर्भवती महिलाओं और अन्य सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को भी शामिल किया जायेगा। शोध में देखा गया है कि जिन मरीजों ने 100 माइक्रोग्राम की एक की बजाय दो डोज ली है, उनमें कोविड-19 के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा विकसित हुई है।

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