कोरोना के लिए ऑक्सफोर्ड का ये टीका साल के अंत तक आ सकता है बाज़ार में
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This Oxford vaccine for Corona may come by the end of the year

COVID-19 का टीका विकसित करने के लिए दुनिया भर में वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर रखा है। दुनिया भर में जहां कोरोना वायरस के टीके के सैकड़ों ट्रायल इस वक्त चल रहे हैं, वहीं ऑक्सफोर्ड (Oxford) और एस्ट्रोजेनेका (AstraZeneca) के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किये जा रहे टीके के भी इस साल के अंत तक बाज़ार में आ जाने की उम्मीदें जग गई हैं।

वेबसाइट बिजनेस इनसाइडर पर छपी एक खबर के मुताबिक, ChAdOx1 नाम की इस वैक्सीन का हाल ही में ब्राजील में ट्रायल किया गया है। यह टीका उनके लिए भी सुरक्षित बताया जा रहा है, जिनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। ब्राजील में 5000 मरीजों पर इसका ट्रायल किया गया है। यूके और दक्षिण अफ्रीका में भी लगभग इतने ही मरीजों पर इसका ट्रायल किया गया है। एडिनोवायरस जिस पर यह टीका आधारित है, यह भी फेफड़े का ही गंभीर संक्रमण पैदा करता है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) में नूफील्ड डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन (Nuffield Department of Medicine) की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट (Sarah Gilbert) ने बताया है कि ट्रायल के दौरान हमने एडिनोवायरस के कुछ जीन को निकाल दिया, ताकि यह शरीर में फैले नहीं। ऐसे में कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों के लिए भी यह टीका सुरक्षित है। फिर भी इसके वायरस होने की वजह से टीका लगाने के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी इंजेक्शन लगाया जा रहा है।

गिल्बर्ट ने बताया कि एडिनोवायरस के प्रति पहले ही इंसानों ने प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। एक एडिनोवायरस से हमने शुरुआत की, जो कि चिम्पांजी से मिला था और जो इंसानों में फैलता नहीं है। इसलिए इसके प्रति पहले से इम्युनिटी (immunity) नहीं है। जिसके खिलाफ हमें टीका विकसित करना है, उससे एक प्रोटीन को हमने इसमें जोड़ दिया। SARS-CoV-2 के लिए स्पाइक प्रोटीन का इस्तेमाल किया, जो कि कोरोनावायरस के बाहरी आवरण को बनाता है।

सबसे बड़ी बात है कि इसी तरह की तकनीक का इस्तेमाल चिकनगुनिया, जीका, फ्लू और सांस लेने से संबंधित अन्य बीमारियों का भी टीका विकसित करने के लिए किया गया है।

Oxford यदि अपने शोध में कामयाब हो जाता है तो गिल्बर्ट के अनुसार बाकी लोगों को भी कामयाबी मिलेगी। यह बहुत जरूरी है कि केवल एक ही टीका विकसित न हो। कामयाब होने पर कई टीकों को लाइसेंस मिलना जरूरी है। फिर भी यह जरूरी नहीं कि हर टीका सफल ही हो जाए, जिन पर अभी शोध चल रहा है। कई टीकों के कई डोज लेने की भी जरूरत पड़ सकती है।

ChAdOx1 nCoV-19 टीके का लाइसेंस एस्ट्रोजेनेका को मिला हुआ है, जिसने कि सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) के साथ भी पार्टनरशिप कर रखी है भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) के टीके पर प्रयोग के लिए। ब्राजील के साथ भी टीके के उत्पादन के लिए बातचीत चल रही है।

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