जानिए, कोरोना के कारण इटली में क्यों मारे गए चीन से भी चार गुना ज़्यादा लोग?
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Why four times more people died in Italy than China due to Corona virus?

कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत चीन में बीते वर्ष हुई थी। फिर भी इस वायरस के संक्रमण से मरने वालों की तादाद अब इटली में चीन से करीब चार गुणी हो गई है।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक 1 अप्रैल, 2020 की सुबह तक चीन के 3 हजार 314 के मुकाबले इटली में 11 हजार 591 लोगों की मौत कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से हो गई है।
  • इसके साथ ही स्पेन में भी कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से भयावह स्थिति है और अब यहां भी मरने वालों की संख्या चीन में मरने वालों की संख्या की ढाई गुणी हो गई है। वहां करीब 7340 मौतें हो चुकी हैं।
  • फ्रांस में भी तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
  • अमेरिका में भी करीब 2400 लोग अब तक कोरोना वायरस के शिकार हो चुके हैं।
  • ब्रिटेन और जर्मनी समेत अनेक देशों में भी हालात भयावह हो चुके हैं।

अधिक संख्या में हो रही लोगों की मौत ने अब ये सवाल खड़े कर दिये हैं कि आखिर अमेरिका और यूरोपीय देशों में किन वजहों से अधिक मौतें हो रही हैं? यहां हम आपको कुछ ऐसी ही वजहों के बारे में बता रहे हैं।

कदम उठाने में देरी (Late response)

  • University of Reading में इम्युनोलाॅजी के विशेषज्ञ एलेक्जेंडर एडवर्ड्स (Alexander Edwards) के मुताबिक जब तक लोगों को इस वायरस के फैलने के एहसास हुआ, तब तक यह उनके बीच पहुंच चुका था।
  • इन तमाम देशों में महामारी के फैलने के समय लोगों के दिमाग में यह सोच रहती है कि यह तो कहीं और फैली है। यह सोच ही इटली, स्पेन, अमेरिका आदि देशों को ले डूबी। चीन के वुहान में जहां से वायरस की शुरुआत मानी जाती है, उसे जनवरी के मध्य से ही पूरी तरह से बंद कर दिया गया और अप्रैल के पहले सप्ताह में भी इसे तभी खोले जाने की संभावना है, जब यहां से एक भी नया मामला सामने न आये।
  • लाॅकडाउन यहां रंग लाया। इसकी घोषणा करते वक्त आशंका थी कि एक करोड़ 10 लाख लोगों को आखिर घर में रखना कैसे संभव होगा और यह सफल हो पायेगा भी या नहीं।
  • इटली में लाॅकडाउन का कदम बहुत देर से फरवरी के अंत में उठाया और उत्तरी इटली के 11 म्यूनिसिपिलिटी को लाॅकडाउन किया।
  • इसके बाद 9 मार्च को पूरे देश में लाॅकडाउन किया गया। तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

टेस्ट करने की क्षमता (Testing capacity)

  • मीडिया रिपोट्र्स में वारविक यूनिवर्सिटी के महामारी के विशेषज्ञ माइकल टिड्सले के हवाले से बताया गया है कि कितनी संख्या में लोगों की जांच हो पा रही है, मृत्यु दर इससे भी जुड़ा हुआ है।
  • जिन जगहों पर टेस्टिंग उतनी ही तेजी से हुई, जितनी तेजी से चीन में, उन जगहों पर इटली और स्पेन में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मरने वालों की तादाद कम है।
  • चीन में जहां लोगों के संक्रमण की पुष्टि हुई, उन्हें तुरंत एकांतवास में डाल दिया गया। हेल्थ सिस्टम के अंदर उन्हें एकांतवास में रखा गया, मगर इटली ने लोगों को घरों में एकांतवास में डाला, जिसकी वजह से संक्रमण अधिक फैला, जिससे मौतें अधिक हुईं।

जनसंख्या (Population)

  • एडवर्ड्स के अनुसार इटली में दो तरह के खतरे मौजूद रहे। जो पहला समूह मौत का शिकार हुआ, वह बुजुर्गों का रहा।
  • यहां जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है, उनमें इस वायरस के गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक है।
  • एडवर्ड्स के मुताबिक हर रविवार को इटली के युवा लोग अपने बुजुर्ग माता-पिता या दादा-दादी को देखने के लिए जाते हैं। वे उन्हें किस करते हैं। वे चर्च जाते हैं और साथ में भोजन भी करते हैं। इसी संपर्क की वजह से पूरे इटली में वायरस तेजी से फैलता चला गया।
  • दुनिया में बुजुर्गों की सर्वाधिक आबादी स्पेन में है।
  • कोरोना वायरस की वजह से यहां मरने वाले अधिकतर लोग 50 से 59, 70 से 79 और 80 साल के ऊपर के रहे हैं।
  • स्पेन की संस्कृति भी काफी हद तक इटली से मिलती-जुलती है।
  • बुजुर्गों और युवाओं के बीच संपर्क होने से यहां भी वायरस का संक्रमण तेजी से फैला है और लोगों की बड़ी तादाद में मौत हुई है।
  • साथ ही अमेरिका और यूरोपीय देशों की तुलना में चीन ने बड़े पैमाने पर लाॅकडाउन किया। इटली, स्पेन और अमेरिका ऐसा करने में बहुत देर कर गये, जिसकी कीमत यहां की बहुत बड़ी आबादी को चुकानी पड़ी है और अब भी चुकानी पड़ रही है।

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