कोरोना मरीजों की जान बचाने के लिए भारत के इन कर्मवीरों ने बनाया सबसे छोटा वेंटिलेटर
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Toaster-sized ventilator from India helps hospitals in virus fight

कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण बन पड़ी है। जब इसकी कोई दवाई उपलब्ध नहीं है, न ही कोई टीका ही उपलब्ध है, ऐसे में बचने के उपाय करने के अलावा और कोई साधन रह नहीं जाता है इस खतरनाक वायरस से अपनी सुरक्षा करने का। इसी क्रम में भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ एक हथियार एक विकसित कर लिया गया है। यह बेहद छोटा है। टोस्टर के आकार का। यह एक वेंटिलेटर है। रोबोटिक्स इंजीनियर दिवाकर वैश्य के सहयोग से एम्स के न्यूरोसर्जन डाॅ दीपक अग्रवाल ने इसे बनाया है।

हवा से ही खींच लेता है ऑक्सीजन

अस्पतालों में वेंटिलेटर बड़ा महंगा होता है। एक दिन भी वेंटिलेटर लगाया गया तो 50 हजार से डेढ़ लाख तक का तो बिल इसका आ ही जाता है, मगर इस नैनो वेंटिलेटर की कीमत 35 हजार रुपये ही रखी गई है। एक खासियत इसकी ये है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की इसमें कोई आवश्यकता नहीं है। जो ऑक्सीजन हवा में मौजूद होते हैं, यह डिवाइस उसी में से ऑक्सीजन को खींच लेता है। इससे मरीज को आसानी से ऑक्सीजन एकदम फिल्टर होकर मिलता रहता है।

एम्स में हुआ परीक्षण

इसका परीक्षण एम्स में मरीजों पर हो चुका है। घर पर भी मरीज हो तो देखभाल करने वालों को इसके बारे में बताकर घर पर ही इसे लगाया भी जा सकता है। जिन मरीजों की सांस लेने में समस्या आ रही है या फिर वे स्पाइनल इंजरी के शिकार हुए हैं, सभी के लिए यह कारगर साबित हो सकती है। कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में गंभीर स्थिति में पहुंचने पर मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। ऐसे में यह वेंटिलेटर बहुत काम का साबित हो सकता है।

देता है चेतावनी

दीपक अग्रवाल ने इसके बारे में बताया है कि इसकी बैटरी यदि खत्म होने लगती है या फिर इसे बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही होती है, वह चेतावनी देने वाला एक सिग्नल भी देखने लगता है। साथ ही इसके नये वर्जन पर भी काम चल रहा है। इसके सामने आने के बाद रिमोट के जरिये डाॅक्टरों का इसे नियंत्रित करना संभव हो जायेगा। इसके अलावा यह डेटा भी डाॅक्टरों को भेजने लगेगा।

नाम है एग्वा

एग्वा नाम रखा है दीपक अग्रवाल और दिवाकर वैश्य ने अपने इस वेंटिलेटर का। AIIMS में तो इसे प्रयोग में लाया ही जा रहा है, चंडीगढ़ स्थित PGI में भी इसका प्रयोग शुरू कर दिया गया है। मरीजों को अस्पताल तक ले जाने के दौरान एंबुलेंस में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

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