21 दिनों के लाॅकडाउन को गंभीरता से लें, वरना 15 मई तक 13 लाख लोग हो सकते हैं कोरोना संक्रमण के शिकार
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Corona virus cases in India can rise up to 1.3 million by 15 May, if 21 days lock-down is not taken seriously

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 23 और 24 मार्च की मध्यरात्रि यानी रात 12 बजे से अगले 21 दिनों के लिए पूरे देश में लाॅकडाउन करने की घोषणा यह कहते हुए कर दी गई है कि कोरोना वायरस से देश की जनता को बचाने का अब कोई और रास्ता नहीं रह गया है।

प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि यूएस-आधारित एक अध्ययन के अनुसार जिस रफ्तार से भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं, वैसे में अगर इसे अभी ही नहीं रोक लिया गया, तो यहां कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या अप्रैल के अंत तक 2 लाख 30 हजार और 15 मई तक 13 लाख तक पहुंच सकती है।

अध्ययन में हुआ बड़ा खुलासा

  • यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन स्कूल ऑफ पब्लिकम में बायोस्टैटिस्टिक्स के अध्यक्ष भरमार मुखर्जी के अनुसार, 15 मई तक भारत में 97 हजार से 1.3 मिलियन तक लोग पूरे भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
  • 13 शिक्षाविदों ने यह अध्ययन किया है, जिसमें दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक प्रोफेसर भी शामिल हैं।
  • बीते 22 मार्च तक सामने आये मामलों के आधार पर ये अनुमान आधारित हैं। यह विश्लेषण जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग द्वारा जुटाये गये मामलों के आंकड़े पर आधारित है।

इतनी तेजी से बढ़े हैं भारत में मामले

  • पिछले कुछ हफ्तों में भारत में कोरोना वायरस के कन्फर्म मामलों में तेजी देखी गई है।
  • भारत में पहले 50 मामले 40 दिनों में सामने आये थे।
  • फिर एक हफ्ते में ही ये दोगुने हो गये।
  • इसके बाद इसके 200 तक पहुंचने में केवल पांच और दिन लगे।
  • वर्तमान में 500 से अधिक लोग ऐसे हैं, जो कोरोना वायरस को लेकर पाॅजीटिव पाये गये हैं।

मामले अधिक, बेड कम

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले सामने आ गए तो संभव है कि स्वास्थ्य सेवाएं उन्हें नहीं संभाल पाएं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि मामलों को लेकर जो अनुमान लगाये गये हैं, इनके सच साबित होने पर भारत में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाले हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इन्हें संभाल नहीं पाएंगे।
  • भारत में कई बार ऐसी स्थिति होती है कि सामान्य बीमारियों की स्थिति में भी यहां मरीजों की अधिक संख्या को सभालने में मुश्किल होने लगती है।
  • ऐसे में यदि इतनी बड़ी संख्या में कोरोना के मामले सामने आ जाएं तो स्थिति गंभीर हो जायेगी।

प्रति 1000 लोगों पर बेड की संख्या

  • भारत में 0.7
  • दक्षिण कोरिया में 11.5
  • चीन में 4.2
  • इटली में 3.4
  • फ्रांस में 6.5
  • यूएसए में 2.8
  • यूके में 2.9
  • ईरान में 1.5

देखिए कितना पीछे है भारत

  • बीते 17 मार्च तक भारत में 15 हजार 980 आइसोशल बेड और 37 हजार 326 क्वारंटाइन बेड उपलब्ध थे।
  • दूसरे शब्दों में कहें तो प्रति 84 हजार लोगों पर केवल एक आइसोलेशन बेड उपलब्ध है।
  • प्रति 36 हजार लोगों पर एक बेड ही उपलब्ध है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार प्रति 11 हजार 600 लोगों पर भारत में केवल एक डाॅक्टर और 1826 लोगों पर केवल एक ही हाॅस्पीटल है।
  • सर्वाधिक चिंता की बात यह है कि डॉक्टरों और नर्सों के पास खुद को बचाने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपकरणें की भी भारी कमी है, जिसकी वजह से स्थिति और बदतर बन सकती है।

चीन की तरह ही अस्पतालों का निर्माण करें

  • सरकार महामारी से लड़ने के लिए कितने आक्रामक तरीके से कदम उठाती है, इस पर सब निर्भर करता है।
  • भारत सरकार पूरे देश में 21 दिनों के लिए लाॅकडाउन लागू कर चुकी है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत को परीक्षण बढ़ाना चाहिए ताकि सभी पाॅजीटिव मामले प्रकाश में आ सकें।
  • साथ ही बिल्कुल चीन की तरह ही भारत को भी स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने पर काम करना शुरू कर देना चाहिए।
  • केंद्र सरकार ने 24 मार्च को सभी राज्य सरकारों को क्वारंटाइन और हाॅस्पीटल बनाने के लिए अधिक फंड देने का निर्देश जारी किया है।

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