उम्मीद की किरण, शोधकर्ताओं ने ढूंढ़ी कोरोना को आसानी से पहचानने वाली तकनीक
कृपया शेयर करें ताकि अधिक लोग लाभ उठा सकें

कोरोना क्विक अपडेट

  • स्वास्थ्य मंत्रालय के 15 मई 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अभी कोरोना के 3673802 एक्टिव केस हैं, 20432898 लोग ठीक हो चुके हैं और 266207 की मृत्यु हो चुकी है।
  • वेबसाइट वर्ल्डमीटर्स.इनफो के मुताबिक, भारत कोरोना से मृत्यु के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना से पूरी दुनिया में अब तक 16,15,13,458 लोग संक्रमित हुए हैं और 33,52,109 लोग दम तोड़ चुके हैं।
  • कोरोना के बारे में अफवाहों से बचने और पल-पल की सही जानकारी व ख़बरें प्राप्त करने के लिए जुड़े रहें https://tanman.org/ के साथ।

Researchers adapt coronavirus test without scarce materials

दुनिया भर में कोरोना वायरस (Corona virus) के लिए जो टेस्टिंग किट (corona testing kits) की कमी हो रही है, उसे दूर करने का एक तरीका मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (Michigan State University) के शोधकर्ताओं ने ढूंढ़ निकाला है। उन्होंने कोरोना वायरस का टेस्ट करने के लिए टेस्ट की एक ऐसी प्रक्रिया ढूंढ़ निकाली है, जो वर्तमान टेस्टिंग किट से भी बेहतर व सटीक परिणाम देती है। हालांकि, इस प्रक्रिया को यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से मंजूरी मिलने का इंतजार है। इसके बाद कोरोना वायरस के संक्रमण का शक होने पर इससे इसकी जांच की जा सकेगी।

दुर्लभ रसायनों का इस्तेमाल नहीं

शोधकर्ताओं ने टेस्टिंग की जो प्रक्रिया ढूंढ़ी है, इसमें उन दुर्लभ रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया गया है, जो अब तक कि टेस्टिंग किट में उपयोग में आ रहे हैं। College of Human Medicine’s के डिपार्टमेंट Department of Translational Neuroscience के अध्यक्ष जैक लिप्टन (Jack Lipton) के अनुसार कोरोना वायरस के वर्तमान स्टैंडर्ड टेस्ट से उनका द्वारा ईजाद की गई तकनीक 500 गुना अधिक संवेदनशील है। इसकी वजह से गलत निगेटिव रिपोर्ट आने से रोका जा सकेगा, जिससे गलतफहमी की वजह से कोरोना मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।

सफल रहा टेस्ट

मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के रिव्यू बोर्ड की ओर से अनुमति मिलने के बाद शोधकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी के फेकल्टी और स्टाॅफ पर इसका टेस्ट किया, जिनमें वे भी शामिल थे, जो पहले COVID-19 के पाॅजीटिव पाये गये थे। लिप्टन ने कहा कि उन्होंने दखा कि उनका वायरल लोड अधिक था। स्टाफ मेंबर अब ठीक हो रहा है। नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए टेस्ट करके पाया गया कि स्टाफ मेंबर का वायरल काफी हद तक घट गया।

चीनी शोधकर्ताओं से मिली जानकारी

लिप्टन के मुताबिक उन्हें इसके बारे में जानकारी चीन के शोधकर्ताओं से मिली। लिप्टन ने कहा कि हमने इसे इस्तेमाल में लाया और यह काम भी कर गया। Droplet Digital PCR का इस्तेमाल करके उन्होंने पाया कि यह पता करना आसान है कि मरीज के शरीर में कितनी मात्रा में वायरस मौजूद है। एफडीए से मंजूरी के लिए बायो-रैड लेब्रोटरीज की ओर से अप्लाई कर दिया गया है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस वेबसाइट पर स्वास्थ्य से संबंधित सभी सामग्रियां केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रकाशित की गई हैं और ये पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं हैं। इसलिए अपने स्वास्थ्य या किसी मेडिकल कंडीशन के बारे में यदि आपके मन में कोई सवाल हैं, तो हमेशा किसी योग्य चिकित्सक या अन्य योग्य स्वास्थ्य पेशेवर का मार्गदर्शन लें। यदि आपको लगता है कि आपको कोई मेडिकल इमरजेंसी हो सकती है, तो तुरंत अपने डॉक्टर अथवा आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें, या फिर अपने नजदीकी अस्पताल के आपातकालीन विभाग में जाएं। कृपया यह भी ध्यान रखें कि विज्ञापनों में अथवा बाहरी लिंक के सहारे इस वेबसाइट से बाहर ले जाने अन्य वेबसाइटों पर किए गए दावों के लिए तनमन.ओआरजी की टीम ज़िम्मेदार नहीं है।



error: Content is protected !!