हैदराबाद यूनिवर्सिटी की बड़ी कामयाबी, किया कोरोना किलर टीका विकसित करने का दावा
कृपया शेयर करें ताकि अधिक लोग लाभ उठा सकें

कोरोना क्विक अपडेट

  • स्वास्थ्य मंत्रालय के 15 मई 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अभी कोरोना के 3673802 एक्टिव केस हैं, 20432898 लोग ठीक हो चुके हैं और 266207 की मृत्यु हो चुकी है।
  • वेबसाइट वर्ल्डमीटर्स.इनफो के मुताबिक, भारत कोरोना से मृत्यु के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना से पूरी दुनिया में अब तक 16,15,13,458 लोग संक्रमित हुए हैं और 33,52,109 लोग दम तोड़ चुके हैं।
  • कोरोना के बारे में अफवाहों से बचने और पल-पल की सही जानकारी व ख़बरें प्राप्त करने के लिए जुड़े रहें https://tanman.org/ के साथ।

University of Hyderabad Faculty Develops Potential Vaccine Candidates Against Coronavirus?

दुनिया भर में कोरोना वायरस के संक्रमण वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में हर कोई बस यही उम्मीद लगाए बैठा है कि इसका कोई टीका विकसित हो जाए या फिर इसकी कोई दवाई ढूंढ ली जाए। दुनिया भर में शोधकर्ता और वैज्ञानिक कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए टीका और दवाई ढूंढने में लगे हुए हैं।

इसी बीच उम्मीद की एक किरण भारत के हैदराबाद में जगी है। हैदराबाद यूनिवर्सिटी (UoH) के बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट की एक प्रोफेसर द्वारा वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एक टीका ढूंढ़ निकाले जाने की खबर सामने आ रही है।

हैदराबाद यूनिवर्सिटी ने जारी किया बयान

  • हैदराबाद यूनिवर्सिटी की ओर से एक बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉ सीमा मिश्रा (Dr. Seema Mishra) ने टी सेल एपीटोप्स के नाम से एक ऐसे टीके की खोज कर ली है, जो कि कोरोना वायरस के सभी स्ट्रक्चरल और नॉनस्ट्रक्चरल प्रोटीन के खिलाफ आसानी से लड़ पाने में सक्षम है।
  • दरअसल अणुओं की कोशिकाएं जिन पेप्टाइड्स को प्रयोग में लाती हैं, ये टीके दरअसल वही छोटे कोरोनावायरल पेप्टाइड्स हैं।
  • इस टीके के जरिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को शरीर में इस तरीके से विकसित किया जा सकता है, जिससे कि वायरल पेप्टाइड्स को जो कोशिकाएं नुकसान पहुंचा रही हैं, उन्हें खत्म किया जा सके।

किस तरह से किया शोध?

  • अपने इस शोध के दौरान डॉ सीमा मिश्रा ने न केवल कंप्यूटेशनल सॉफ्टवेयर का उपयोग किया है, बल्कि उन्होंने बेहद ताकतवर इम्यूनोइनफॉर्मेटिक्स को भी इस्तेमाल में लाया है।
  • डॉ सीमा ने ऐसे संभावित एपीटोप्स को इस तरीके से डिजाइन भी किया है कि इस टीके को पूरी आबादी को आसानी से लगा पाना संभव होगा।
  • यूनिवर्सिटी की ओर से जारी किए गए बयान में यह भी बताया गया है कि इस टीके को तैयार करने में 15 साल का वक्त लग सकता था, लेकिन शक्तिशाली कंप्यूटेशनल तकनीक ने काम को आसान कर दिया, जिसकी वजह से 10 दिनों में ही टीके को विकसित कर लिया गया।
  • इंसानों के शरीर में मौजूद कोशिकाएं वायरस को रोकने के लिए किस हद तक अपनी ताकत का या फिर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करती हैं, इसके आधार पर संभावित टीकों को रैंक प्रदान करते हुए एक सूची तैयार की गई है।

खतरनाक प्रोटीन पर करेगा सीधा हमला

  • इंसानों के शरीर में जो प्रोटीन पूल होते हैं, उन्हें ये कोरोनवायरल एपिटोप्स अच्छी तरह से समझने में सक्षम हैं। ऐसे में ये मानव शरीर में मौजूद कोशिकाओं को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।
  • यही वजह है कि प्रतिरक्षा प्रक्रिया भी जो होगी, वह वायरल प्रोटीन के विरुद्ध अपना काम करेगी न कि इंसानों के शरीर में मौजूद प्रोटीन के खिलाफ।

प्रयोग के बाद ही निर्धारित होगी कामयाबी

  • शोध के परिणाम तो जरूर सामने आ गए हैं, लेकिन इसे निर्णायक स्वरूप केवल उसी स्थिति में दिया जा सकता है, जब इसका प्रयोग किया जाए और प्रयोग पूरी तरह से सफल रहे।
  • फिलहाल प्रयोग करने के लिए या फिर प्रयोग के आधार पर इसकी क्षमता की जांच करने के लिए केमआरजीव (ChemRxiv) प्रीपिंट प्लेटफाॅर्म का इस्तेमाल शोध के दौरान करके वैज्ञानिक समुदायों के बीच इसके बारे में जानकारी शेयर करने के लिए किया गया है।
  • भारत ने पहली बार एनकोव (nCov) टीके के डिजाइन पर इस तरह से अध्ययन किया है। वायरस जो स्ट्रक्चरल और नाॅनस्ट्रक्चरल प्रोटीन बनाते हैं, इनमें कोरोनावायरल प्रोटिओम को ढूंढ़ निकाल पाने में यह सक्षम है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस वेबसाइट पर स्वास्थ्य से संबंधित सभी सामग्रियां केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रकाशित की गई हैं और ये पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं हैं। इसलिए अपने स्वास्थ्य या किसी मेडिकल कंडीशन के बारे में यदि आपके मन में कोई सवाल हैं, तो हमेशा किसी योग्य चिकित्सक या अन्य योग्य स्वास्थ्य पेशेवर का मार्गदर्शन लें। यदि आपको लगता है कि आपको कोई मेडिकल इमरजेंसी हो सकती है, तो तुरंत अपने डॉक्टर अथवा आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें, या फिर अपने नजदीकी अस्पताल के आपातकालीन विभाग में जाएं। कृपया यह भी ध्यान रखें कि विज्ञापनों में अथवा बाहरी लिंक के सहारे इस वेबसाइट से बाहर ले जाने अन्य वेबसाइटों पर किए गए दावों के लिए तनमन.ओआरजी की टीम ज़िम्मेदार नहीं है।



error: Content is protected !!