योग के नियमित अभ्यास से सौ साल जी सकता है मनुष्य : डॉ. अंबर पारे
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Dr Ambar Pare on International Yoga Day

हरदा, मध्य प्रदेश। 20 जून 2021. योग हमारे तन और मन को स्वस्थ, निरोग और बलवान बनाने का हजारों साल से आजमाया हुआ ऐसा तरीका है, जिसमें एक भी पैसा खर्च नहीं होता है और इसे करना पूरी तरह से हमारे अपने हाथ में है। यह कहना है विश्व प्रसिद्ध नेचुरोपैथी स्पेशलिस्ट, मेडिकल साइंटिस्ट और माइंड बॉडी मेडिसिन एक्सपर्ट डॉक्टर अंबर पारे का। डॉ. अंबर पारे लंदन के रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडिसिन के फेलो हैं और टेक्सिला अमेरिकन यूनिवर्सिटी से अल्टरनेटिव मेडिसिन में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त एक ऐसे विद्वान चिकित्सक हैं, जिन्होंने दुनिया भर की बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद मध्य प्रदेश में हरदा स्थित अपने गांव दुलिया में आकर मानवता की सेवा करने का फैसला किया।

विश्व योग दिवस (21 जून) के लिए जारी अपने संदेश में डॉक्टर अंबर पारे ने कहा कि हमारे प्राचीन संतों और ऋषियों द्वारा योग मानवता को दिया हुआ ऐसा वरदान है, जिसके नियमित और नियम-पूर्वक अनुपालन से मनुष्य आज भी सौ साल की स्वस्थ जिंदगी सफलतापूर्वक जी सकता है। डॉक्टर पारे ने बताया कि योग को कुछ लोग महज आसन, प्राणायाम और ध्यान तक सीमित समझते हैं, जबकि महर्षि पतंजलि के अनुसार योग में इन तीनों के अलावा यम, नियम, प्रत्याहार, धारणा और समाधि का भी बड़ा महत्व है। डॉक्टर अंबर पारे ने इसे समझाते हुए कहा कि यम अर्थात शपथपूर्वक और नियम अर्थात नियमपूर्वक अनुशासित जीवन जिया जाए, तो नियमित रूप से आसन यानी शारीरिक व्यायाम की कई मुद्राएं और प्राणायाम यानी सांसों की कई तरह की क्रियाएं करने से मनुष्य आजीवन निरोगी रह सकता है। इसके अलावा शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रत्याहार यानी इंद्रियों का नियंत्रण, धारणा अर्थात किसी भी काम में एकाग्रचित्त रहना भी बेहद जरूरी है। प्रतिदिन कुछ देर तक ध्यान अर्थात मेडिटेशन करने से तनाव, चिंता, डिप्रेशन और अनिद्रा जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

डॉक्टर अंबर पारे ने बताया कि आजकल कोरोना वायरस के कारण विश्व भर में इंसानी जिंदगी पर जो खतरा उत्पन्न हो गया है, उससे बचने के लिए अभी तक एकमात्र उपाय लोगों को यह समझ में आया है कि अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाया जाए, ताकि वायरस आपका ज्यादा कुछ बिगाड़ नहीं पाए। ऐसे में हर व्यक्ति को हर रोज़ कम से कम आधा या एक घंटा नियमपूर्वक योगाभ्यास और प्राणायाम अवश्य करना चाहिए, क्योंकि इससे न सिर्फ शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, बल्कि ब्लड सर्कुलेशन और श्वसन-तंत्र का फंक्शन भी बिल्कुल दुरुस्त रहता है। डॉक्टर अंबर पारे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर वर्ष 21 जून को दुनिया भर में योग दिवस मनाए जाने को मंजूरी देना भारतीय ज्ञान और विज्ञान की वैश्विक स्वीकृति है, जिसपर हमें गर्व होना चाहिए।

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