सुपर कंप्यूटर ने पहचाने 77 ऐसे रसायन, जो रोक सकते हैं कोरोना वायरस का फैलना
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77 chemicals having potential to check the infection of corona virus identified by the super computer

कोरोना वायरस (Corona virus) के तेजी से पांव पसारने के मद्देनजर दुनिया भर में शोधकर्ता भी इतनी ही तेजी से रिसर्च के काम में जुटे हुए हैं। हर किसी की बस यही कोशिश है कि किस तरीके से कोरोना वायरस से जुड़ी हर सूक्ष्म जानकारी हासिल की जाए और जल्द-से-जल्द इसके संक्रमण पर लगाम कसने के लिए प्रभावी टीका या दवाई विकसित की जाए।

इसी क्रम में एक राहत देने वाली खबर यह सामने आई है कि अपने शोध के जरिये वैज्ञानिकों ने उन रसायनों की पहचान कर ली है, जो कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया भर में फैलने से रोक सकते हैं।

दुनिया के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर ने की मदद

वैज्ञानिकों को इनकी पहचान करने के लिए अपने शोध में दुनिया के सबसे तेज कंप्यूटर समिट से भी सहायता लेनी पड़ी है। इसकी मदद से वैज्ञानिक उन 77 कंपाउंड्स यानी कि रसायनों को पहचान पाने में कामयाब हो गये हैं, जो कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर पूर्णविराम लगा सकते हैं। शोध में इनकी पहचान होने के बाद अब यह आस बढ़ गई है कि कोरोना वायरस का टीका बनाने की दिशा में तेजी से काम शुरू हो जाए।

लैबोरेट्री ने किया है ये दावा

जिन 77 रसायनों का पहचानने का काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कि AI पर आधारित सुपर कम्प्यूटर ने किया है, वे रसायन शरीर के बाकी कोशिकाओं में कोरोना वायरस को फैलने नहीं देते हैं। वे उनके मार्ग को ही अवरुद्ध कर देते हैं। इस शोध को लेकर ऑक रिज नेशनल लैबोरेट्री की ओर से ChemRxiv नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है, जिसमें यह दावा किया जा चुका है कि इसके आधार पर अब ऐसी दवाई को बहुत जल्द बनाना मुमकिन होने जा रहा है, जो कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में बेहद प्रभावी साबित होने वाली है।

इस तरह से करने वाला है काम

ओक नेशनल लैबोरेट्री जो कि टेनिसी में स्थित है, इसका कहना है कि बाहरी कोशिकाएं कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित हो जाती हैं। इसी तरह की कोशिकाओं को पहचानने का काम समिट द्वारा किया जा रहा है। साथ ही दवा के जरिये यह कोशिश की जाएगी कि वायरस जहां तक फैला है, वहीं पर रूक जाए और फिर दवा से ही इसे खत्म भी कर दिया जाए।

शोधकर्ता मिकोलस स्मिथ ने इसके बारे में कहा है कि जनवरी में एक माॅडल उन्होंने बनाया था। यह माॅडल दरअसल कोरोना वायरस की पहचान कर पाने में समर्थ है। दवा के साथ मिलकर अणु और अन्य कण किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं, यह माॅडल उसके बारे में बेहद सूक्ष्म जानकारी तक प्रदान करता है। अब तक आठ हजार से भी अधिक ऐसे यौगिकों की पहचान इस सुपर कंप्यूटर द्वारा की जा चुकी है, जो प्रोटीन वायरस पर एकदम प्रतिबंध लगा देते हैं। जो कोशिकाएं संक्रमित हो गई हैं, वहीं उन्हें ये रोक देते हैं और बाकी जगह इनका फैलाव नहीं हो पाता है।

सुपर कंप्यूटर बनाने का उद्देश्य ही यही था

दुनिया में जो जटिल समस्याएं हैं, उनका निदान निकाला जा सके, इसी उद्देश्य से वर्ष 2014 में पहली बार सुपर कंप्यूटर समिट पर अमेरिका के ऊर्जा विभाग की ओर से काम की शुरुआत की गई थी। इस सुपर कंप्यूटर की खासियत है कि जो सबसे तेज गति से काम करने वाले लैपटाॅप उपलब्ध हैं, उनसे भी यह 10 लाख गुना अधिक ताकतवर है। साथ ही 200 पेटाफ्लॉप को गिन पाने में भी यह सुपर कंप्यूटर सक्षम है।

अब शोधकर्ताओं की टीम फिर से पहचाने गये 77 रसायनों की जांच इसी समिट के जरिये करने जा रही है, जिसके आधार पर कोरोना वायरस को जड़ से मिटाने के लिए या कम-से-कम फिलहाल इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सर्वश्रेष्ठ माॅडल को विकसित किया जा सके।

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