
Did Russia announced Covid-19 vaccine in haste?
रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) ने मंगलवार को एलान तो कर दिया कि उनके देश ने कोविड-19 के लिए दुनिया की पहली वैक्सीन का निर्माण कर लिया है, लेकिन इस एलान को दुनिया संदेह की निगाह से देख रही है। दरअसल, रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पुतनिक वी (Sputnik V) नाम से इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है, जबकि इसका फेज-3 ट्रायल यानी ह्यूमन ट्रायल अभी हुआ ही नहीं है।
पहले दो चरणों के परीक्षण के आधार पर दी गई मंजूरी
रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पुतनिक वी को फेज-1 और फेज-2 ट्रायल के आधार पर ही मंजूरी दी है, जिसके बाद विश्व नेताओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने वैक्सीन का एलान करने में हड़बड़ी दिखाने के लिए रूस की आलोचना की है। विश्व भर में प्रचलित स्वास्थ्य मानदंडों के मुताबिक, किसी भी वैक्सीन का कामयाब ह्यूमन ट्रायल (human trials) यानी मानवीय परीक्षण जरूरी है। खुद sputnikvaccine.com ने भी यही बताया है कि रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आपातकालीन नियमों के तहत वैक्सीन को फेज-1 और फेज-2 के क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर मंजूरी दी गई है।
फेज-3 यानी ह्यूमन ट्रायल 12 अगस्त से
रूस ने कहा है कि रूस, ब्राजील, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और मैक्सिको में इसी बुधवार यानी 12 अगस्त से ही फेज-3 ट्रायल यानी ह्यूमन ट्रायल शुरू किया जा रहा है। इस दौरान, इन देशों में करीब 2000 लोगों को यह वैक्सीन दी जाएगी।
ह्यूमन ट्रायल का यह फेज यदि कामयाब रहा, तब भी रूस अपने नागरिकों के लिए इस वैक्सीन का इस्तेमाल अक्टूबर 2020 से पहले नहीं कर सकेगा। इस वैक्सीन के निर्माण से जुड़े लोगों और संस्थाओं का कहना है कि दुनिया के करीब 20 देश इस वैक्सीन में रुचि दर्शा चुके हैं, और उन्हें इसकी सप्लाई नवंबर 2020 से शुरू की जा सकेगी।
वैक्सीन के पूर्ण सफल होने की संभावना कम
रूस की यह वैक्सीन कितनी प्रभावी होगी, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अगर इसका ह्यूमन ट्रायल कामयाब रहा, तो भी
- इसे 18 साल से कम और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को नहीं दिया जा सकेगा, क्योंकि अब तक हुए परीक्षणों के परिणामों से यह पता नहीं चलता कि इस उम्र वर्ग के लोगों के लिए यह सुरक्षित है या नहीं।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी यह वैक्सीन नहीं दी जा सकेगी।
- इससे स्पष्ट है कि रूस की यह वैक्सीन यदि कामयाब भी रहती है तो माइल्ड टू मॉ़डरेट (Mild to Moderate) लक्षणों वाले मरीजों पर ही यह काम करेगी।
ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का भी ह्यूमन ट्रायल जारी
रूस से पहले ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन भी ह्यूमन ट्रायल स्टेज में है। इसलिए ऐसा लगता है कि कोरोना के कारण विभिन्न देशों के बीच सबसे पहले वैक्सीन बनाने के लिए भी एक प्रतिस्पर्धा चल रही है, जिसके कारण वैक्सीन पर काम कर रहे विभिन्न देश, संस्थाएं और कंपनियां आए दिन अपने एलानों में हड़बड़ी दिखाती रहती हैं। आपको बता दें कि इस वक्त दुनिया भर में कोविड वैक्सीन बनाने के करीब सौ अलग-अलग संस्थाएं प्रयास कर रही हैं।
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