माता सीता को इस श्राप के कारण सहना पड़ा था श्री राम से वियोग
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Mata Sita had to face separation from Shri Rama because of this curse

रामायण (the Ramayana) में रावण (Ravan) ने माता सीता (Sita) का अपहरण कर लिया था, जिस वजह से मां सीता को अपने पति श्री राम से दूर रहकर वियोग सहना पड़ा था। माता सीता इस दौरान गर्भवती भी थीं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता सीता के साथ इतना बुरा क्यों हुआ? आइए, आज हम आपको वह असली वजह बताते हैं, जिसके कारण माता सीता को अपनी जिंदगी में ये दिन देखने पड़े।

धर्मशास्त्रों में कहा गया है- परोपकाराय पुण्याय, पापाय परपीडणम्। यानी किसी का भला करने से या परोपकार करने से हमें पुण्य की प्राप्ति होती है। जबकि किसी का बुरा करने से हम पाप के भागी बनते हैं। और अपनी गलती की सजा तो सबको भुगतनी पड़ती है, चाहे वह इंसान हो या फिर भगवान। माता सीता के साथ भी यही हुआ था। अनजाने में उनसे एक ऐसी गलती हो गयी थी, जिसकी वजह से उन्हें अपने जीवन में इतने सारे दुख सहने पड़े।

ये है कहानी

बचपन में सीता जी ने किसी गर्भवती स्त्री को तड़पाया था, जिसकी वजह से उन्हें अपने पति से वियोग का श्राप मिल गया था। दरअसल हुआ यह था कि माता सीता अपने महल के बगीचे में जब खेल रही थीं, तो उन्होंने तोते (parrots) के दो जोड़ों को बात करते सुना कि इस भूमंडल में श्री राम नाम के एक प्रतापी राजा होंगे। उनकी सीता नाम की एक बहुत ही सुंदर पत्नी होगी। यह सुनकर माता सीता रोमांचित हो उठीं। उन्होंने उस जोड़े को पकड़ लिया।

तोतों ने बताया

इसके बाद माता सीता ने उनसे जानना चाहा कि आखिर उन्हें इस बात की जानकारी कैसे हुई? इस पर उन्होंने बताया कि उन्होंने महर्षि वाल्मीकि के मुख से यह बात तब सुनी, जब वे अपने शिष्यों को पढ़ा रहे थे। इस पर माता सीता ने तोतों को बताया कि वह सीता वही हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि तुम्हारी बातों से मैं रोमांचित हो गई हूं। इसलिए अब मैं तुम्हें तभी छोडूंगी, जब श्री राम से मेरा विवाह हो जाएगा।

तोते का अनुरोध

इस पर तोते के जोड़े ने मां सीता से अनुरोध किया कि हम कैद में रहने वाले जीव नहीं हैं। आसमान में हम विचरण करते हैं। हमें वहीं सुख मिलता है। इस पर माता सीता ने नर तोते को तो आजाद कर दिया, मगर मादा तोते को कैद में रखकर कहा कि इसी मैं तभी आजाद करूंगी, जब श्री राम से मेरा विवाह हो जाएगा। इस पर तोते ने कहा कि मैं इसके बिना जी नहीं पाऊंगा। यह वियोग मेरे से सहन नहीं होगा। मेरी पत्नी गर्भवती है।

तोते ने दिया श्राप

तोते की बातों का माता सीता पर कोई असर नहीं हुआ। अंत में क्रोध में आकर मादा तोते ने मां सीता को श्राप दे दिया कि जैसे गर्भावस्था में तू मुझे मेरे पति से दूर कर रही है, ऐसे ही गर्भावस्था में तुझे भी अपने पति से एक दिन वियोग सहना पड़ेगा। पहले मादा तोते ने श्राप देकर अपनी जान दे दी। उसके बाद उसके वियोग में नर तोते ने भी अपने प्राण त्याग दिए।

ये मिलती है सीख

मादा तोते का यह श्राप माता सीता को लग ही गया। रामायण की यह कहानी यही सीख देती है कि हमें किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए, क्योंकि जो गलती हम जाने-अनजाने में करते हैं, उसकी सजा हमें कभी-ना-कभी अवश्य मिलती है।

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