Everything about mouth cancer surgery you would like to know
मुंह का कैंसर इस वक्त दुनिया की 11वीं सबसे आम बीमारी है और विकासशील देशों में कैंसर के जितने मामले सामने आते हैं, उनमें से दो तिहाई केवल मुंह के कैंसर के ही मामले होते हैं। भारत में हर एक लाख की आबादी पर हर 20वां व्यक्ति जर्नल ऑफ़ फाॅर्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च के मुताबिक मुंह के कैंसर का शिकार है। अधिक तंबाकू खाने या फिर अन्य वजहों से यदि मुंह का कैंसर हो जाता है, तो इसकी कोशिकाओं को निकालने के लिए सर्जरी की जाती है, ताकि इसका फैलाव शरीर के दूसरे हिस्सों में भी न हो जाए। इसमें कैंसर से प्रभावित ऊत्तक निकाल दिये जाते हैं।
मुंह के कैंसर की वजह
- जिन लोगों को सिगरेट, हुक्का और सिगार जैसी चीजें पीने आदत हैं, उनमें मुंह के कैंसर की चपेट में आने की आशंका 6 फीसदी अधिक रहती है।
- तंबाकू, पान-मसाला, गुटखा और सुपारी खाने वाले लोग भी मुंह के कैंसर की चपेट में आ जाते हैं।
- शराब पीने वाले लोग भी मुंह के कैंसर का शिकार होते हैं।
- ऐसे लोग जिनके परिवार में पहले कभी किसी को मुंह का कैंसर रहा है, तो उन पर भी मुंह के कैंसर का खतरा मंडराता रहता है।
मुंह के कैंसर के लक्षण
- मुंह के किसी हिस्से में रंग बदलने लगे।
- गले में यदि गांठ दिखने लगे।
- बुखार आये, मगर कारण न समझ आये।
- गाल पर गांठ लंबे समय तक दिखे।
- भोजन को चबाने या निगलने में दिक्कत हो।
- बिना किसी वजह से दांत गिरने लगे।
- आवाज में बदलाव आ जाए।
- गले में कुछ फंसा हुआ महसूस हो।
- मुंह में हुआ छाला लंबे समय तक ठीक न हो।
- वजन कम होता जाए और कारण स्पष्ट न हो।
- जबड़े फूल जाएं या इससे खून निकलने लगे।
- होठ को घुमाने में दर्द का अनुभव हो।
- मुंह में जलन-सी हो।
इसलिए करते हैं सर्जरी
- शुरू में ही पता चल गया तो इसे निकालकर ठीक किया जा सकता है।
- शरीर के दूसरे हिस्से में न फैले, इसलिए भी सर्जरी जरूरी है।
- जब दवाईयां फेल हो जाती हैं, तो सर्जरी ही एकमात्र उपाय रह जाता है।
यूं होती है सर्जरी की तैयारी
- जरूरी टेस्ट जैसे कि शारीरिक परीक्षण, इंडोस्काॅपी, बायोप्सी, एचआईवी टेस्ट, एक्स-रे, कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई आदि डाॅक्टर के बताये अनुसार करा लिये जाते हैं।
- एनेस्थीसिया का परीक्षण।
- सर्जरी की पूरी रूपरेखा तैयार करना।
- जरूरी दवाईयों और उपकरणों की व्यवस्था।
- पेट को खाली रखना।
- कई बार एंडोस्काॅपी भी की जाती है।
ऐसे होती है सर्जरी
- ट्यूमर और आसपास के ऊत्तकों को प्राथमिक ट्यूमर रिसेक्शन (Primary Tumor Resection) से निकाल कर लैब में इसका परीक्षण करके देख लिया जाता है कि ऊत्तक के चारों ओर कोई कैंसर कोशिका तो नहीं है।
- जबड़े की हड्डी के कैंसर से प्रभावित होने की स्थिति में मैंडिब्यूलर रिसेक्शन (Mandibular Resection) करके इसके प्रभावित हिस्से को निकाल दिया जाता है। कुछ परिस्थितियों की जबड़े की पूरी हड्डी भी हटानी पड़ जाती है।
- तालू की ऊपर वाली सतह में यदि कैंसर हो गया है, तो वहां से प्रभावित कोशिकाओं को मैक्सिलेक्टोमी (Maxillectomy) सर्जरी द्वारा हटाया जाता है। नाक और मुंह के बीच जगह छोड़ते हुए इसे किये जाता है।
- होंठ के समीप के कैंसर को मोइस सर्जरी (Mohs’ Surgery) से हटाते हैं, जिसमें बहुत कम ही कोशिका को हटाने की जरूरत पड़ती है।
- जीभ के कैंसर से प्रभावित होने की स्थिति में ग्लोसेक्टमी (Glossectomy) नामक सर्जरी की विधि का उपयोग कर या तो इसमें जीभ का कुछ हिस्सा निकाला जाता है या फिर कुछ परिस्थितियों में पूरी जीभ ही निकालनी पड़ जाती है।
सर्जरी के बाद क्या करें?
- जरूरी व्यायाम करने होते हैं, ताकि दवाई के साथ मुंह जल्द काम करने की स्थिति में लौट आये।
- डाॅक्टर द्वारा बताये गये पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें। बेहद ताकतवर दवाओं को पचाने के लिए यह जरूरी है।
- सर्जरी के बाद कई बार चेहरे की सूरत पहले से अलग हो जाती है। ऐसे में मरीजों के आत्मबल को बढ़ाने के लिए उनका हौंसला बढ़ाना चाहिए, ताकि वे तनाव न पालें।
- शराब, धूम्रपान या किसी भी प्रकार के नशे से बचें।
- तरल पदार्थ ही लंबे समय तक लें।
- टांकों और जख्म को पानी से बचाएं।
- सोते वक्त सिर को तकिये या किसी चीज से ऊंचा रखें, ताकि टांके प्रभावित न हों।
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