Postmortem of corona infected body for the first time in the country
उदय चंद्र सिंह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन के सहायक निजी सचिव हैं।
नई दिल्ली, 18 अगस्त। कोरोना वायरस संक्रमण का दिल, फेफड़े, दिमाग या दूसरे अंगों पर किस तरह से और कितना असर पड़ता है, यह जानने की कोशिश दुनिया भर के डॉक्टर कर रहे हैं। इस कड़ी में भारत के डॉक्टर भी पीछे नहीं हैं। एम्स, भोपाल में देश में पहली बार किसी कोरोना संक्रमित मरीज के मृत शरीर का पोस्टमार्टम किया गया है। इस पोस्टमार्टम का मकसद कोरोना मरीज पर रिसर्च करना है, ताकि पता लगाया जा सके कि यह शरीर में कितने लंबे समय तक रहता है और किन-किन अंगों को किस तरह से प्रभावित करता है।
इसके लिए एम्स, भोपाल को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से विशेष अनुमति लेनी पड़ी। अनुमति मिलने के बाद रविवार को कोरोना संक्रमित शख्स का रिसर्च के उद्देश्य से पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम की अनुमति इतनी आसान नहीं थी, क्योंकि संक्रमण के खतरे को देखते हुए इसकी अनुमति नहीं दी जा रही थी। जब एम्स, भोपाल की टीम ने संक्रमण रोकने के उपाय के साथ ही पोस्टमार्टम की एडवांस तकनीक की जानकारी आईसीएमआर को दी, तो इसकी मंजूरी दी गई।
रविवार को कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद उसके शव का पोस्टमॉर्टम किया गया। इस दौरान पोस्टमॉर्टम करने वाली डॉक्टर्स की टीम ने पीपीई किट समेत सुरक्षा से जुड़ी सभी गाइडलाइंस का पालन किया। AIIMS भोपाल का दावा है कि रिसर्च के लिए कोरोना संक्रमित शव के पोस्टमॉर्टम का ये पहला मामला है। हालांकि, अभी कुछ और शवों पर रिसर्च की जाएगी, जिसके बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार होगी।
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