पीएम ने किया 20 लाख करोड़ के पैकेज का एलान, आत्मनिर्भर भारत की खातिर लोकल के लिए वोकल बनने का दिया नारा, यहां पढ़िए एक-एक बात
कृपया शेयर करें ताकि अधिक लोग लाभ उठा सकें

PM announced a package of INR 20 lakh crores, gave the slogan to become vocal for local for the sake of self-reliant India

नई दिल्ली, 12 मई 2020. अभिरंजन कुमार की रिपोर्ट.

कोरोना संकट के लगातार विकराल रूप धारण करते जाने से निराश देशवासियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से ग्रेट मोटिवेटर के रूप में सामने आए। लॉकडाउन-4 लागू होने से पहले अपने भाषण में उन्होंने 20 लाख करोड़ रुपये के विशाल आर्थिक पैकेज का एलान किया, जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत है।

इसके साथ ही उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत का संकल्प लिया और इसके लिए “लोकल के लिए वोकल” बनने का नारा दिया। आइए हम आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में क्या-क्या महत्वपूर्ण बातें कीं।

इक्कीसवीं सदी भारत की सदी है

प्रधानमंत्री ने सबसे पहले कोरोना संक्रमण से अब तक मारे गए लोगों के परिजनों के लिए संवेदना जताई और कहा कि संकट जितना बड़ा है, उससे भी बड़ा संकल्प हमें लेना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इक्कीसवीं सदी भारत की होगी, ये हम सुनते आए थे, लेकिन कोरोना के बाद जो अवसर पैदा हुए हैं, उन्हें देखते हुए हमें इसके लिए अब काम करना है। इतनी बड़ी आपदा भारत के लिए एक संकेत, एक संदेश, एक अवसर लेकर आई है।

हर रोज़ बन रहे दो लाख पीपीई किट और दो लाख मास्क

प्रधानमंत्री ने बताया कि जब कोरोना संकट शुरू हुआ था तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी, एन-95 मास्क का भी उत्पादन न के बराबर होता था, लेकिन आज भारत में हर रोज दो लाख पीपीई किट और दो लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। ये हम इसलिए कर पाए, क्योंकि हमने आपदा को अवसर में बदल दिया। आपदा को अवसर में बदलने की हमारी दृष्टि भविष्य में काफी प्रभावशाली सिद्ध होने वाली है।

भारत की आत्मनिर्भरता में विश्व की चिंता शामिल

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हमें अर्थकेंद्रित वैश्वीकरण की बजाय मानव-केंद्रित वैश्वीकरण की तरफ बढ़ना है। ऐसा कहते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता है, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता शामिल होती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो संस्कृति जय जगत में विश्वास रखती हो, जो पूरे विश्व को परिवार मानती हो, जो अपनी आस्था में “माता पृथ्वी पुत्रो अहम पृथ्वीयः” मानती हो, वह संस्कृति, वह भारत भूमि जब आत्मनिर्भर बनती है, तो एक सुखी समृद्ध विश्व की परिकल्पना भी साकार होती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के हर अभियान का दुनिया पर असर पड़ता ही है। उदाहरणस्वरूप, जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है, तो दुनिया की तस्वीर भी बदलती है। टीवी, कुपोषण, पोलियो के खिलाफ अभियान चलाए जाते हैं तो भी दुनिया पर असर पड़ता ही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इंटरनेशनल सोलर एलायंस दुनिया को भारत की सौगात है। इंटरनेशल योग दिवस दुनिया को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए भारत का उपहार है। जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही दुनिया में भारत की दवाएं एक नई आशा लेकर पहुंचती हैं। इन कदमों से भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा होती है। इससे हर भारतीय को गर्व होता है। दुनिया को विश्वास हो जाता है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है, मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है जब 130 करोड़ देशवासियों को आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा। भारत जब समृद्ध था, सोने की चिड़िया था, तब भी सदा विश्व कल्याण के मार्ग पर ही चला। फिर देश जब गुलामी की जंजीरों में जकड़ गया, तब हम विकास के लिए तरसते रहे।

लेकिन आज फिर से भारत विकास की ओर बढ़ रहा है, अब भी भारत विश्व कल्याण के मार्ग पर अटल है।

इस शताब्दी की शुरुआत में वाई2के संकट आया था, भारत के तकनीकी विशेशज्ञों ने दुनिया को उससे निकाला था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में हम बेस्ट क्वालिटी प्रोडक्ट्स बनाएंगे, सप्लाई चेन को और बेहतर बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और जरूर करेंगे।

कच्छ के पुनर्निर्माण की कहानी दोहराएंगे

प्रधानमंत्री ने गुजरात के कच्छ में 2002 में आए भूकंप की याद दिलाते हुए कहा कि मैंने कच्छ भूकंप के दिन देखे हैं। हर तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा। सब कुछ ध्वस्त हो गया था। ऐसा लगता था कि कच्छ मौत की चादर ओढ़कर सो गया था। उस परिस्थिति में कोई सोच भी नहीं सकता था कि कच्छ फिर से उठ खड़ा होगा, लेकिन कच्छ फिर से उठ गया, फिर से चल पड़ा। इसलिए, अगर हम भारतीय ठान लें तो कोई राह मुश्किल नहीं। कहा गया है कि जहां चाह वहां राह। और आज तो चाह भी है और राह भी है।

आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ

प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की ये भव्य इमारत पांच पिलर्स पर खड़ी होगी-

  1. पहला – इकोनोमी, जो इन्क्रीमेंटल चेंज नहीं, बल्कि क्वांटम जंप लाए।
  2. दूसरा – इन्फ्रास्ट्रक्चर, जो आधुनिक भारत की पहचान बने।
  3. तीसरा – सिस्टम, जो बीती शताब्दी की रीति नीति नहीं, बल्कि इक्कीसवीं सदी के सपनों को साकार करने वाली तकनीक ड्रिवेन व्यवस्था पर आधारित हो।
  4. चौथा – डेमोग्राफी, दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में हमारी वायब्रेंट डेमोग्रीफी हमारी ताकत है।
  5. पांचवां – डिमांड, हमारी अर्थव्यवस्था मे डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में डिमांड को पूरा करने के लिए हर स्टेक होल्डर का सशक्त होना जरूरी है। इसलिए हम आपूर्ति की उस व्यवस्था को मजबूत करेंगे, जिसमें हमारे देश की मिट्टी की महक हो, हमारे मजदूरों के पसीने की खुशबू हो।

20 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज

अपने भाषण में एक विशाल आर्थिक पैकेज का एलान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मैं एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं। ये आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा।

  • हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थी, जो रिजर्व बैंक के फैसले थे, और आज जिस आर्थिक पैकेज का एलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये करीब 20 लाख करोड़ रुपये का है।
  • ये पैकेज भारत की जीडीपी का करीब करीब 10 प्रतिशत है।
  • इसके जरिए देश के विभिन्न वर्गों और आर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को 20 लाख करोड़ रुपये का संबल देने का सपोर्ट मिलेगा।
  • साल 2020 में यह 20 लाख करोड़ का पैकेज आत्मनिर्भर भारत अभियान को नई गति देगा।
  • इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉस – सभी पर बल दिया गया है।
  • ये पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, लघु उयोग, हमारे एमएसएमई के लिए हैं।
  • ये आर्थिक पैकेज उस श्रमिक उस किसान के लिए है, जो हर स्थिति हर मौसम में देशवासियों के लिए दिन-रात परिश्रम कर रहे हैं।
  • ये आर्थिक पैकेज देश के मध्यम वर्ग के लिए है जो ईमानदारी से टैक्स देता है और देश के आर्थिक विकास में योगदान देता है।
  • ये देश के उद्योग जगत के लिए है, जो देश के विकास को गति देने के लिए संकल्पित है।
  • वित्त मंत्री द्वारा इस आर्थिक पैकेज की विस्तार से जानकारी दी जाएगी।

पिछले 6 साल में किए गए सुधार आज काम आ रहे हैं

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते छह वर्षों में जो रिफॉर्म हुए, उनके कारण आज भारत की व्यवस्थाएं अधिक सक्षम नजर आई हैं, वरना कौन सोच सकता था कि भारत सरकार जो पैसे भेजेगी, वह पूरा का पूरा गरीब और किसान की जेब में पहुंच सकता है। वह भी तब, जब सारे सरकारी दफ्तर बंद थे। जनधन, आधार और मोबाइल की त्रिशक्ति से यह संभव हुआ।

चौतरफा रिफॉर्म के लिए तैयार रहें

प्रधानमंत्री ने कहा कि आगे खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में हम रिफॉर्म करेंगे, ताकि कोरोना जैसे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो। ये रिफॉर्म बिजनेस को प्रोत्साहित करेंगे। निवेश को प्रोत्साहित करेंगे। मेक इन इंडिया के हमारे संकल्प को सबल करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता आत्मविश्वास से ही संभव है। आत्मनिर्भरता ग्लोबल सप्लाई चेन में देश को कड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करती है। इसे समझते हुए आर्थिक पैकेज में अनेक प्रावधान किए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये संकट इतना बड़ा है कि बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं हिल गई हैं, लेकिन इन्हीं परिस्थितियों में हमने और देश ने हमारे गरीब भाइयों–बहनों की सहन शक्ति और संयम का दर्शन किया है। खासकर रेहड़ी-पटरी वालों, ठेला वालों, घरों में काम करने वाले श्रमिकों की कमी ऐसा कौन है, जिसने महसूस नहीं की होगी। इसलिए, अब हमारा कर्तव्य है कि हम उनके लिए कुछ कदम उठाएं। इसलिए, संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के लिए कुछ न कुछ एलान किए जाएंगे।

लोकल के लिए वोकल बनना होगा

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में एक बहुत बड़ी बात चिह्नित करते हुए कहा कि कोरोना संकट ने हमें लोकल मैन्यूफैक्चरिंग, लोकल सप्लाई चेन, लोकल मार्केट का महत्व भी समझा दिया है।

  • हमें इस संकट के दौरान लोकल ने ही बचाया है।
  • लोकल सिर्फ जरूरत नहीं, समय की मांग है।
  • समय ने हमें सिखाया है कि लोकल को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा।
  • आज आपको जो ग्लोबल ब्रांड्स दिखाई देते हैं, वे भी कभी लोकल ही थे, लेकिन जब वहां के लोगों ने उनका इस्तेमाल किया, ब्रांडिंग की, प्रचार किया, उनपर विश्वास किया, तो वे लोकल से ग्लोबल बन गए।
  • इसलिए आज से हर भारतवासी को लोकल के लिए वोकल बनना है। न सिर्फ लोकल प्रोडक्ट्स खरीदना है, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है।
  • मुझे विश्वास है कि भारत ऐसा कर सकता है।

नए रंग-रूप वाला होगा लॉकडाउन-4

प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोना लंबे समय तक हमारे जीवन का हिस्सा बना रहेगा। लेकिन हम ऐसा भी नहीं होने दे सकते हैं कि हमारी जिंदगी सिर्फ और सिर्फ कोरोना के इर्द गिर्द ही सिमट कर रह जाए। इसलिए हम मास्क पहनेंगे, दो गज दूरी का पालन करेंगे, लेकिन अपने लक्ष्यों को दूर नहीं होने देंगे। इसलिए लॉकडाउन-4 नए रंग रूप वाला होगा। राज्यों के सुझावों के आधार पर लॉकडाउन-4 से जुड़ी जानकारी भी आपको 18 मई से पहले दी जाएगी। नियमों का पालन करते हुए हम कोरोना से लड़ेंगे भी और आगे भी बढ़ेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा- “सर्वम आत्मवशं सुखम”, अर्थात जो हमारे वश में है, वही सुख देने वाला है। आत्मनिर्भरता हमें सुख और संतोष देने के साथ साथ सबल भी करती है। इक्कीसवीं सदी का सपना आत्मनिर्भर भारत के संकल्प से ही पूरा होगा।। आत्मनिर्भर भारत का ये युग हर भारतवासी के लिए नूतन पर्व भी होगा, नूतन प्रण भी होगा। हम भारत को आत्मनिर्भर बनाकर रहेंगे।

अंत में प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा कि अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें और इसके लिए उनकी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।


error: Content is protected !!