जानिए मां दुर्गा के पहले स्वरूप माता शैलपुत्री की कहानी
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Story of Maa Shailputri in Navaratra

दोस्तो, यह तो आप जानते ही हैं कि नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यहां हम आपको मां दुर्गा के पहले रूप शैलपुत्री के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

कौन हैं मां शैलपुत्री? (Who is Maa Shailputri)

मां शैलपुत्री का यह नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि उन्होंने हिमालय के यहां उनकी बेटी के रूप में जन्म लिया था। नवरात्रि के शुरू होने पर पहले दिन माता के शैलपुत्री स्वरूप की ही पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ है। इसी वजह से इन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी भक्त पुकारते हैं। देवी सती का यह दूसरा जन्म है, जिसमें उन्होंने अपने एक हाथ में त्रिशूल तो दूसरे में कमल धारण किया हुआ है।

देवी शैलपुत्री की कहानी (Story of Maa Shailputri)

  • एक बार प्रजापति यक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। इसमें उन्होंने सभी को बुलाया मगर भगवान शंकर को उन्होंने आमंत्रण नहीं दिया।
  • देवी सती को लगा कि यह कोई मामूली सी बात है। वह यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो रही थीं, किंतु भगवान शंकर को यह उचित नहीं लगा।
  • अंत में देवी सती के बार-बार अनुरोध करने के कारण भगवान शंकर को उनके आगे झुकना पड़ा और उन्होंने मां सती को यज्ञ में जाने के लिए अनुमति दे दी।
  • देवी सती जब अपने पिता के यहां यज्ञ में पहुंची तो वहां उनकी बहनों ने उनके साथ ठीक तरीके से व्यवहार नहीं किया। साथ ही उन्होंने उनका और उनके पति भगवान भोलेनाथ का मजाक उड़ाया। केवल उनकी मां ही थी जो उन्हें प्यार कर रही थीं।
  • जब पिता प्रजापति यक्ष ने भी भगवान शंकर के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया तो इससे मां सती को बहुत दुख हुआ। अपने पति के अपमान को देवी सती बर्दाश्त नहीं कर सकीं। यज्ञ की अग्नि में ही कूद पर और खुद को जलाकर इसमें उन्होंने भस्म कर लिया। जब भगवान शंकर ने यह देखा तो वह बड़े क्रोधित हो गए। उन्होंने यज्ञ को तहस-नहस कर दिया।
  • इसी के बाद जब देवी सती ने शैलराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया तो वे शैलपुत्री के नाम से जानी गईं। माता शैलपुत्री को देवी पार्वती और हेमवती के नाम से भी भक्त पुकारते हैं। आगे चलकर इनका ही भगवान शंकर से विवाह भी हुआ था।

मां शैलपुत्री की पूजा से लाभ (Benefits of worshiping Maa Shailputri)

देवी शैलपुत्री के पास अनंत शक्तियां मानी जाती हैं। जो भक्त नवरात्र में मां शैलपुत्री की सच्चे मन से आराधना करते हैं, उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति तो होती ही है, साथ में जो कन्याएं माता की पूजा पूरी श्रद्धा से करती हैं, उन्हें उत्तम वर भी प्राप्त होता है। ऐसी भी मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्रमा से संबंधित दोष खत्म हो जाते हैं।  

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