प्रिय श्री केजरीवाल, इतने क्षुद्र विचार आपके मन में पैदा कहां से होते हैं?
कृपया शेयर करें ताकि अधिक लोग लाभ उठा सकें

Abhiranjan Kumar wrote an open letter to Delhi CM Arvind Kejriwal

क्या दिल्ली के अस्पतालों में केवल दिल्ली वालों का इलाज होना चाहिए? कोरोना महामारी के बढ़ते कहर के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा कथित दिल्ली वालों से यह सवाल पूछे जाने से वरिष्ठ लेखक, पत्रकार और मानवतावादी चिंतक अभिरंजन कुमार भड़क गए हैं। केजरीवाल के रुख़ की कड़ी निंदा करते हुए उन्होंने उनके नाम एक खुला पत्र लिखा है, जो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहा है। उनके इस पत्र को हम यहां ज्यों का त्यों छाप रहे हैं। आप भी पढ़ें और अन्य लोगों को भी पढ़ाएं।

प्रिय श्री अरविंद केजरीवाल,

आप दिल्ली के मुख्यमंत्री ज़रूर हैं, लेकिन अपनी घटिया राजनीति और निकम्मेपन के कारण आप इस देश में स्थापित बुनियादी मर्यादाएं भी भूल जा रहे हैं।

आपने जो कथित दिल्ली वालों से पूछा है कि क्या दिल्ली का बॉर्डर सील होना चाहिए और दिल्ली के अस्पतालों में केवल दिल्ली वालों का इलाज होना चाहिए, यह न सिर्फ आपत्तिजनक है, बल्कि आपकी विकृत बुद्धि का सबूत भी है।

देश भर में कोरोना फैल रहा है, ऐसे में दिल्ली की सीमा सील करना एक बात है, लेकिन आप ऐसी नीचता भरी सोच अपने मन में ला भी कैसे सकते हैं कि दिल्ली के अस्पतालों में केवल कथित दिल्ली वालों का ही इलाज हो?

कृपया कुछ बातें अच्छी तरह समझ लें-

1. दिल्ली किसी एक या कुछ लोगों के पिताजी की नहीं है। यह देश के सभी 135 करोड़ लोगों की है, क्योंकि यह इस देश की राजधानी है। यहां देश की संसद है, जिसमें पूरे देश की जनता के चुने हुए प्रतिनिधि बैठते हैं। यहीं से देश की सरकार चलती है और यहीं पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और तमाम मंत्री बैठते हैं। यहीं पर देश का सुप्रीम कोर्ट भी है और तमाम देशवासियों की मेहनत और प्रतिभा से तैयार अन्य अनेक संस्थान भी हैं।

2. दिल्ली के अस्पतालों सहित यहाँ जितना भी बुनियादी ढांचा विकसित हुआ है, उसमें पूरे देश के लोगों का खून पसीना और पैसा लगा हुआ है। दिल्ली में ऐसी कोई सरकारी संपत्ति नहीं है, जो केवल किसी कथित दिल्ली वाले के पिताजी की जेब का पैसा खर्च करके तैयार हुआ है। पिछले 70 साल से लगातार देश भर के लोगों ने अपना खून, पसीना दे-देकर दिल्ली को यहां तक पहुंचाया है और इतना चमकदार बनाया है।

3. दिल्ली वाला कौन है? कृपया अपनी निकृष्ट सोच को इस प्रश्न पर भी साफ कर लें। क्या आप खुद दिल्ली के हैं? क्या आपके उपमुख्यमंत्री और सभी मंत्री दिल्ली के हैं? क्या दिल्ली के सभी सातों सांसद और सभी 70 विधायक दिल्ली के हैं? क्या राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रिमंडल के सभी सदस्य दिल्ली के हैं? क्या दिल्ली के सभी नौकरशाह दिल्ली के हैं? क्या दिल्ली के तमाम दफ्तरों और अर्थव्यवस्था को चला रहे सभी लोग दिल्ली के हैं? अगर नहीं, तो आप अपने मन में ऐसे घटिया विचार ला भी कैसे सकते हैं कि दिल्ली के अस्पतालों में केवल कथित दिल्ली वालों का इलाज हो?

4. अभी-अभी आपने केंद्र सरकार से पांच हजार करोड़ रुपये मांगे हैं, क्योंकि आपकी सरकार के पास कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं हैं। अगर दिल्ली के सरकारी संसाधनों पर केवल कथित दिल्ली वालों का ही हक़ है, तो किस हक़ से केंद्र सरकार से आपने ये पैसे मांगे हैं? क्यों नहीं, ये पैसे आप किन्हीं कथित दिल्ली वालों के पिताजी या अपने पिताजी की जेब से भरते हैं? दिल्ली को चलाने के लिए पैसे आप बाकी देश वालों से लेंगे और सुविधाएं केवल कथित दिल्ली वालों को देंगे? ऐसे क्षुद्र विचार आपके मन में पैदा कहाँ से होते हैं?

5. कृपया यह भी याद रखें कि दूसरे राज्यों ने दिल्ली में कोरोना नहीं भेजा है, बल्कि दिल्ली ने ही दूसरे अनेक राज्यों में कोरोना भेजा है। फिर भी देश के अन्य राज्य दिल्ली के प्रति सहयोग और सद्भाव का रवैया अपनाए हुए हैं। इसके बावजूद, आपके मन में ऐसा नीच विचार कैसे पैदा हो गया कि दिल्ली के अस्पतालों में केवल कथित दिल्ली वालों का ही इलाज हो? अपनी सरकार का निकम्मापन छिपाने के लिए आप इस हद तक कैसे गिर सकते हैं?

प्रिय श्री केजरीवाल,

बिहार-यूपी के जिन लोगों ने दिल्ली को बनाया, आगे बढ़ाया और जो दिल्ली की सरकार तय करते हैं, उन्हें लॉकडाउन की शुरुआत में ही दिल्ली से बाहर करने की साज़िश रचकर आप पहले ही बहुत बड़ा अपराध कर चुके हैं। अब कथित दिल्ली वालों और कथित बाहरी लोगों के बीच भेदभाव पैदा करने की नीचता दिखाकर देश के संविधान की धज्जियां मत उड़ाइए।

और कृपया अपने मन में यह गलतफहमी भी न पालें कि जिस पैसे से दिल्ली सरकार के कर्मचारियों को सैलरी दी जानी चाहिए थी, उस पैसे से मीडिया को विज्ञापन की घूस खिलाकर आप देश के तमाम लोगों का मुंह बंद कर सकते हैं।

इतना कड़ा पत्र आपको इसलिए लिखा, क्योंकि आप अपनी घटिया सोच और क्षुद्र राजनीति के कारण लगातार देश के संघीय ढांचे को चोट पहुंचा रहे हैं।

शुक्रिया,

आपका चिर हितैषी “निंदक”

अभिरंजन कुमार

अभिरंजन कुमार का फेसबुक पोस्ट आप यहां देख सकते हैं

अभिरंजन कुमार जाने-माने पत्रकार, कवि और मानवतावादी चिंतक हैं। कई किताबों के लेखक और कई राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय समाचार चैनलों के संपादक रह चुके अभिरंजन फिलहाल न्यूट्रल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं।




error: Content is protected !!