चीनी कोरोना वायरस को मिटाने के लिए दस सूत्र
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कोरोना क्विक अपडेट

  • स्वास्थ्य मंत्रालय के 15 मई 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अभी कोरोना के 3673802 एक्टिव केस हैं, 20432898 लोग ठीक हो चुके हैं और 266207 की मृत्यु हो चुकी है।
  • वेबसाइट वर्ल्डमीटर्स.इनफो के मुताबिक, भारत कोरोना से मृत्यु के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना से पूरी दुनिया में अब तक 16,15,13,458 लोग संक्रमित हुए हैं और 33,52,109 लोग दम तोड़ चुके हैं।
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10 Formula To Defeat Chinese Corona Virus

इस लेख के लेखक अभिरंजन कुमार वरिष्ठ पत्रकार, कवि और मानवतावादी चिंतक हैं

अब सचमुच लगने लगा है कि कथित नोवल कोरोना वायरस को चीनी कोरोना वायरस कहा जाना चाहिए, क्योंकि चीन में कमोबेश यह नियंत्रण में है और एक सीमित इलाके में है, जबकि बाकी समूचे विश्व में इसकी वजह से फैली महामारी के कारण हाहाकार और त्राहिमाम की स्थिति बन गई है। इतना ही नहीं, जब दुनिया के बड़े-बड़े देश लम्बे-लम्बे लॉकडाउन पर मजबूर हो रहे हैं, तब चीन अपने यहां लॉकडाउन में ढील दे रहा है।

मैं हमेशा से कहता आया हूँ कि चीन और पाकिस्तान दुनिया के दो कलंक देश हैं। चीन एक संदिग्ध देश है, जबकि पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है। इन दोनों देशों से संबंध रखने वाले सभी देश पछताएंगे। यहां तक कि अमेरिका भी इनके कहर से नहीं बच सकता। एक तरफ जहां चीन का कोरोना अमेरिका में भी संक्रमण और मौत का भयावह तांडव खेल रहा है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान पोषित तालिबान ने अफगानिस्तान में अमेरिका का क्या हाल किया, आप पहले ही देख चुके हैं। अपने हज़ारों सैनिक गंवाने के बाद उसे सिर पर पैर रखकर अफगानिस्तान से भागना पड़ा। पाकिस्तान के पोसपूत आतंकवादियों ने इसी 25 मार्च को अफगानिस्तान में एक गुरूद्वारे पर हमला करके अनेक सिखों को मार डाला है।

शायद चीन का गेम प्लान यह रहा हो कि समूची दुनिया में लाखों-करोड़ों लोगों की हत्या करने और बड़ी-बड़ी आर्थिक शक्तियों को कंगाल और लाचार करने के बाद कथित नोवल कोरोना वायरस उसे दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति बना देगा। हालांकि ऐसा हो सकेगा या नहीं, यह समय आने पर ही पता चलेगा, क्योंकि जैसे-जैसे यह महामारी फैलती जा रही है, चीन की नीयत पर दुनिया का संदेह भी बढ़ता जा रहा है।

जो भी हो, इतना तय है कि दुनिया भारत के सनातनधर्मियों की मानवतावादी सोच से नहीं चल रही। हम और आप जैसी मानवतावादी सोच रखने वाली जनता ही इस दुनिया में आज असली अल्पसंख्यक हैं और आज भी तरह-तरह के राक्षस अपनी प्रभुता स्थापित करने के लिए दुनिया का अमन-चैन और बेगुनाह लोगों की ज़िंदगियां लीलने पर आमादा हैं।

ऐसी कठिन परिस्थिति में, भारत सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए कदम तो अनेक उठाए हैं, लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि हम चीन के इस वायरस के जाल में फंसने से बच पाएंगे या नहीं, क्योंकि अभी हमारी सारी उम्मीदें 21 दिन के लॉकडाउन और 1 लाख 70 हज़ार करोड़ रुपए की राहत पर ही टिकी हैं। जबकि इतने विशाल और सघन जनसंख्या वाले गरीब देश में इस वायरस का कम्युनिटी स्प्रेड रोकना कितनी बड़ी चुनौती है, यह सरकार को भी लॉकडाउन लागू करने के 24 घंटे के भीतर ही ठीक से समझ में आ गया होगा। 

मैं समझता हूं कि राहत पैकेज का एलान लॉकडाउन के एलान के साथ ही या फिर इससे पहले ही हो जाना चाहिए था। इससे पूरे देश में लॉकडाउन के बाद जो अफरातफरी देखने को मिली, शायद वह कुछ हद तक काबू में रह सकती थी। साथ ही, लॉकडाउन को भी इसके लागू होने की वास्तविक तिथि से कम से कम 15 दिन पहले यानी 10 मार्च के आसपास ही लागू कर दिया जाना चाहिए था। हालांकि सच यह भी है कि भारत जैसे विशाल जनसंख्या और कमज़ोर अर्थव्यवस्था वाले देश में सिर्फ आशंकाओं के आधार पर इतने बड़े, कड़े और जोखिम भरे फैसले लेना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं होता।

इसलिए, फिलहाल मैं अपने देश और सरकार के साथ खड़ा हूँ, इस उम्मीद और प्रार्थना के साथ कि बिना अधिक नुकसान उठाए भारत इस महामारी को परास्त कर दे और अपने लोगों को क्षति पहुंचने से बचा ले। फैसले कुछ दिन आगे-पीछे होना अलग पहलू है, लेकिन इतना तय है कि नरेन्द्र मोदी सरकार की नीयत पर संदेह नहीं किया जा सकता।

  1. सरकार ने भारी जोखिम उठाते हुए भी महामारी प्रभावित देशों से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने का फैसला किया और निकाला। इससे स्पष्ट है कि उसकी प्राथमिकता में दुनिया भर में कहीं भी मौजूद अपने नागरिकों की जान बचाना सबसे ऊपर है।
  2. सरकार ने 21 दिन के लॉकडाउन और तीन महीने के विशाल राहत पैकेज का एलान किया, इसका मतलब उसे अहसास है कि संकट कितना बड़ा है और विशेष रूप से गरीबों को पूरी संवेदनशीलता के साथ मदद पहुंचाए जाने की ज़रूरत है।
  3. अब यह जनता की भी ज़िम्मेदारी है कि सरकार का सहयोग करे और कष्ट सहकर भी उसके निर्देशों का पालन करे। अगर जनता की तरफ से निर्देशों के पालन में ढिलाई होगी तो महामारी भयावह रूप ले लेगी और सरकार के सारे प्रयास विफल हो जाएंगे और जैसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है, देश कम से कम 21 साल पीछे चला जाएगा।
  4. सरकार को भी यह एहतियात बरतना चाहिए कि इस महामारी के दौरान उसे लोगों की हर अनिवार्य आवश्यकता को उसके द्वार पर पहुंचकर पूरा करना चाहिए। 135 करोड़ आबादी वाले देश में यह नामुमकिन जैसा लगता ज़रूर है, पर खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार कहा है कि मोदी है तो मुमकिन है। इसे वे साबित करके दिखाएं। क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो लोगों में अफरातफरी मचेगी और वायरस का कम्युनिटी स्प्रेड भयावह रूप ले लेगा।
  5. जो लोग देश भर में रास्तों में फंसे हैं, अपने-अपने घर लौटना चाह रहे हैं, उन्हें अविलंब या तो उनके घर पहुंचाने का इंतजाम किया जाए या फिर जो जहां हैं, वहीं उन्हें स्कूलों, समुदाय गृहों, अन्य उपलब्ध सरकारी निवासों, रैनबसेरों, मंदिरों, अन्य धर्म स्थलों इत्यादि में सुरक्षित ठहराया जाए और उनके परिवार वालों को इसकी जानकारी दी जाए। साथ ही, लोग फोन पर अपने परिजनों से जुड़े रह सकें।
  6. इमरजेंसी स्थिति के लिए तुरंत बहुत बड़ी संख्या में नए अस्पताल बनाना संभव नहीं होगा, लेकिन जो जहाँ हैं, वहीं उन्हें इलाज मुहैया कराने की कोशिश की जा सकती है। इसके लिए जीवनरक्षक सुविधाओं से लैस ज़्यादा से ज़्यादा मोबाइल मेडिकल यूनिट तैयार किये जा सकते हैं।
  7. सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों समेत निजी प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों को भी बचाव मुहिम के लिए तैयार रखा जाए। मेडिकल फील्ड में काम करने का अनुभव रखने वाली तमाम स्वयंसेवी और धर्मार्थ संस्थाओं को भी मुहिम से जोड़ा जाए।
  8. सरकार जिन लोगों को अपने राहत पैकेज के तहत सीधी सहायता नहीं दे रही, यानी विशेष रूप से मध्यमवर्गीय लोगों को महंगाई और कालाबाज़ारी से सुरक्षित किया जाए। ऐसे इंतज़ाम करे, जिससे उनके द्वार पर उन्हें उचित मूल्य पर जीवनरक्षक सामान मिल सके और इनकी उपलब्धता में कमी नहीं हो।
  9. मास्क, सेनेटाइजर, साबुन इत्यादि के इस्तेमाल का प्रचार जितना अधिक किया गया, उनकी उपलब्धता उतनी ही कम है। जहां उपलब्धता है, वहां एक-एक डिस्पोजेबल मास्क 100-100 रुपये या इससे भी अधिक में बेचा जा रहा है, उसपर भी इनके नकली होने का खतरा है। इसलिए सरकार जनता को इन लालची और मनुष्यता के हत्यारे कालाबाज़ारियों से मुक्ति दिलाए और इन सामानों को पर्याप्त मात्रा में उनके घर तक पहुंचाए।
  10. क्या अब तक प्राप्त अनुभवों के आधार पर महामारी के लक्षणों के हिसाब से सरकार लोगों को प्राथमिक उपचार सुझाव देने में सक्षम है? यदि हाँ, तो लक्षण के हिसाब से प्राथमिक उपचार की दवा के उपयोग के निर्देश के साथ द्वार पर उसकी उपलब्धता करवाए।

मैं समझता हूँ कि यह डरने का समय ज़रूर है, लेकिन घबराने का समय नहीं, बल्कि महामारी का मजबूती, समझदारी, साहस और संयम से मुकाबला करने का समय है। डरने की सलाह इसलिए दे रहा हूं, क्योंकि अगर आप डरेंगे नहीं तो इस महामारी के खतरे को तब तक हल्के में लेते रहेंगे, जब तक यह आपको भी अपनी गिरफ्त में न ले ले। इस संकट की घड़ी में ईश्वर सबको सुखी रखें, स्वस्थ रखें- ऐसी कामना है।

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