कट्टरपंथियों के डिरेडिकलाइजेशन के लिए तत्काल बने एक ठोस नीति
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फ्रांस के आतंकवादियों के समर्थन में धर्मांध और कट्टरपंथी शायर मुनव्वर राणा के बयान की चौतरफा निंदा हो रही है। एक निजी चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ”कोई हमारे माता-पिता या फिर भगवान का गंदा, आपत्तिजनक कार्टून बनाता है, तो हम उसे मार देंगे।” उनके इस बयान पर जाने माने लेखक, पत्रकार और मानवतावादी चिंतक अभिरंजन कुमार ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसे हम ज्यों का त्यों यहां प्रस्तुत कर रहे हैं।

अभिरंजन कुमार जाने-माने पत्रकार, कवि और मानवतावादी चिंतक हैं। कई किताबों के लेखक और कई राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय समाचार चैनलों के संपादक रह चुके अभिरंजन फिलहाल न्यूट्रल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं।


हम तो जाकिर नाइक जैसों तक ही अटके थे, लेकिन मुनव्वर राणा के विचार जानने के बाद ऐसा लग रहा है कि रेडिकलाइजेशन बहुत ज़्यादा हो चुका है। जिसे हम “कुछ लोगों” तक सीमित मान रहे थे, वह “बहुत लोगों” में फैल चुका है। अगर शत प्रतिशत नहीं, तो कम से कम 90-95% तो ज़रूर, क्योंकि अब अगर यह शख्स अछूता नहीं है तो और कौन होगा? जावेद अख्तर को तो आप दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन का बचाव करते हुए सुन ही चुके हैं।

यह एक खतरनाक स्थिति है। सरकार से मेरी मांग है कि डिरेडिकलाइजेशन के लिए एक ठोस और दीर्घकालिक नीति बनाकर यथाशीघ्र उसपर अमल शुरू करें, वरना 1947 से 2047 तक पहुंचते पहुंचते भारत फिर से लहूलुहान न हो जाए।

भारतीय मुसलमानों समेत पूरे इस्लामी वर्ल्ड द्वारा फ्रांस में हुई आतंकवादी घटनाओं की निंदा करने की बजाय उनका खुलेआम समर्थन यह बता रहा है कि आज आतंकवाद ही इस्लाम का मूल विचार बन चुका है और कमोबेश दुनिया भर के इस्लामिकों के भीतर इसके लिए समर्थन का भाव पैदा हो चुका है।

किसी कत्ल को जस्टिफाई करने की भी हद होती है। कहीं किसी ने कार्टून बना दिया तो क़त्ल कर देंगे। कहीं किसी ने कुरान की आयतें नहीं पढ़ीं तो कत्ल कर देंगे। कहीं दूसरे मजहब की कोई लड़की धर्मपरिवर्तन को राज़ी नहीं हुई तो कत्ल कर देंगे। कहीं आपकी लड़की ने दूसरे मजहब के लड़के से प्यार कर लिया तो उस लड़के का कत्ल कर देंगे। कभी अपने मजहब के घुसपैठियों को देश में बसाने के लिए दंगा कर देंगे। कभी दूसरे मजहब के पीड़ितों को देश की नागरिकता देने के विरोध में दंगा कर देंगे। कहीं पर डेमोग्राफी चेंज करने के लिए गैर मजहब के साढ़े तीन लाख लोगों को मारकर बलात्कार करके भगा देंगे। कहीं मुगल आक्रमणकारियों द्वारा मंदिर तोड़कर उसी की दीवारों पर खड़े कर दिये गए ढांचों को मस्जिद कहकर झगड़ा पाल बैठेंगे। मंदिर, चर्च, स्कूल, अस्पताल कोई जगह छोड़ी हो तो बताइए।

अगर मुनव्वर जैसों की दलील मान ली जाए, तब तो मकबूल फिदा से लेकर आमिर खान तक सभी मार डाले गए होते। यह पाशविक सोच है, जिसको ठीक करने के लिए जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाए जाने की ज़रूरत है। धन्यवाद।

(अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से)

अभिरंजन कुमार के पोस्ट को आप यहां देख सकते हैं-

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