गढ़िया लोहार समाज ने पेश की मानवता की ऐसी मिसाल कि सुनकर आंखें हो जाएंगी नम
कृपया शेयर करें ताकि अधिक लोग लाभ उठा सकें

Gadhiya Lohar Community, the face of humanity


नई दिल्ली, 9 मई 2020. कोविड-19 महामारी से पैदा हुए संकट के समय गढिया लोहार समाज ने सेवा, त्याग और दान की ऐसी मिसाल पेश की है, जिसके बारे में जानकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी। सदियों से अभावग्रस्त खानाबदोश (घुमंतू) ज़िंदगी जीने वाले इस समाज ने अपना पेट काटकर और चंदा इकट्ठा करके 51 हज़ार रुपये जमा किए, लेकिन ये रुपये उन्होंने अपने लिए इस्तेमाल नहीं किए, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी संस्था सेवा भारती को दान कर दिए।

दरअसल सेवा भारती के साथ मिलकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का संगठन महामना मालवीय मिशन भी काम कर रहा है, जो कि लंबे समय से दिल्ली की घुमंतू जातियों के बीच काम कर रहा है। मौजूदा लॉकडाउन के दौरान भी ये दोनों संगठन दिल्ली में रहने वाली अन्य घुमंतू जातियों के साथ-साथ पालम इलाके की झुग्गियों में रहने वाले गढ़िया लोहार परिवारों की मदद के लिए कई बार जा चुके हैं। यह सब देख इस स्वाभिमानी समाज ने खुद सहायता लेने की बजाय दूसरे जरूरतमंदों की सहायता करने का संकल्प लिया और 51 हजार रुपये इकट्ठा करके महाराणा प्रताप की जयंती पर सेवा भारती को दान कर दिए।

दान स्वीकार करते हुए सेवा भारती के दिल्ली प्रांत के संगठन मंत्री सुखदेव जी ने कहा कि इस देश की असली ताकत सरकारें नहीं, बल्कि समाज है। उन्होंने कहा कि जब-जब राष्ट्र पर संकट आता है पूरा देश एक हो जाता है। हर कोई एक-दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ाता है। गढ़िया लोहार समाज का यह दान आने वाली कई पीढ़ियां याद रखेंगी। अभावग्रस्त जिंदगी जीने वाले इस समाज का यह दान पूरी मानवता के लिए मिसाल साबित होगा।

इस मौके पर मालवीय मिशन, इंद्रप्रस्थ के अध्यक्ष ओंकार राय जी ने कहा कि हमें खुशी है कि हम एक ऐसे समाज की सेवा कर रहे हैं, जो आज पूरे देश के लिए आदर्श बन गया है।

दान की राशि देते वक्त गढ़िया लोहार समाज के दीपक कुमार ने कहा कि हमारे पुरखों ने देश के लिए कई बलिदान दिए हैं। आज फिर देश-समाज संकट में है, इसलिए हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम समाज के लिए कुछ करें।

इस मौके पर सेवा भारती दिल्ली के उपाध्यक्ष हेमंत कुमार भी मौजूद थे। मालवीय मिशन की तरफ से उसके महामंत्री शिवेंद्र कुमार सुमन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शक्तिधर सुमन, राष्ट्रीय मंत्री डॉक्टर वेद प्रकाश सिंह और रविकांत सिन्हा की मौजूदगी रही। जबकि गढ़िया लोहार समाज की तरफ से सुनील, दीपक, किरण, रीना, संजय, महेंद्र, सतपाल, पवन, अजीत, आशुतोष, रोहित, सनी आदि मौजूद थे। इस मौके पर सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया।

कौन है गढ़िया लोहार?

गढ़िया लोहार मूलरूप से राजस्थान के मेवाड़ इलाके से हैं। 16वीं शताब्दी में ये महाराणा प्रताप की सेना में थे। युद्ध के साथ-साथ ये हथियार बनाने का काम करते थे।  जब मेवाड़ पराजित हो मुगलों के हाथ चला गया, तो इन्होंने प्रण लिया कि जब तक संपूर्ण मेवाड़ को मुगलों से वापस नहीं छुड़ा लेंगे, तब तक अपने घर नहीं लौटेंगे। दुर्भाग्य से न राणा प्रताप जीते, न चितौड़ लौट पाए। तभी से ये खानाबदोश जिंदगी जी रहे हैं। ये सड़कों के किनारे तंबू डालकर जीवन यापन कर करते हैं।



error: Content is protected !!