तो क्या चीन से नहीं आया कोरोना वायरस? इटली के शोध में चौंकाने वाला खुलासा
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Italy’s earliest corona virus strains did not arrive from China?

पूरी दुनिया के सामने आज यह एक बड़ा सवाल है कि आखिर पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लेने वाला जानलेवा कोरोना वायरस (Coronavirus) आया तो कहां से? कई रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया जा चुका है कि कोरोना वायरस चीन से फैला है। जानवरों के मीट के एक बाजार के बारे में बताया गया है कि यहीं से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई थी। कई रिपोर्ट्स यह भी बता रहे हैं कि चीन की प्रयोगशाला से कोरोना वायरस निकलकर पूरी दुनिया में फैला है।

हालांकि, इटली में किए गए एक नए शोध में इस बात का दावा किया गया है कि वहां कोरोना वायरस के जो शुरुआती मामले सामने आए थे, वे चीन से नहीं थे।

इन्होंने किया है शोध

  • कार्लो फेड्रिको पेरनो (Professor Carlo Federico Perno), जो कि इटली के मिलान यूनिवर्सिटी (Milan University) के प्रोफेसर हैं, उनकी अगुवाई में बीते फरवरी से अप्रैल के दौरान इस अध्ययन को अंजाम दिया गया है।
  • इन शोधकर्ताओं ने 300 से भी अधिक रक्त के नमूने लोम्बारडी (Lombardy) क्षेत्र से जमा किए।
  • उन्होंने कोविड-19 (COVID-19) के इन मरीजों के रक्त नमूनों की जांच की है।
  • उन्होंने जीन्स (genes) में होने वाले परिवर्तन से वायरल स्ट्रेन की उत्पत्ति के बारे में जानकारी हासिल की है।

यहां हुआ प्रकाशित

  • medRxiv.org में प्रकाशित किए गए इस शोध में शोधकर्ताओं ने कहा है कि चीन से आने वाली सभी उड़ानों को बंद करने वाला इटली दुनिया का पहला देश था। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया था।
  • हालांकि उन्होंने जो जीनोम सिक्वेंस का अध्ययन किया है, इसमें उन्होंने पाया है कि शुरुआत में कोरोना वायरस के फैलने में चीन की सीधे तौर पर भूमिका नहीं थी।

एक तिहाई से अधिक आबादी चपेट में

  • गौरतलब है कि पश्चिम में लोम्बार्डी वह जगह थी, जहां की एक तिहाई से भी अधिक आबादी कोरोना वायरस की चपेट में आ गई थी।
  • इटली में सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के शिकार लोग इसी इलाके में हुए थे।
  • कोरोना वायरस की वजह से न केवल इटली के इस समृद्ध इलाके में व्यापार पूरी तरीके से तबाह हो गया था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संपर्क भी पूरी तरीके से इसका टूट गया था।
  • इस शहरी इलाके में बेहद घनी आबादी बसती है।

जनवरी की शुरुआत में

  • Sars-CoV-2 को शोधकर्ताओं ने अलग कर दिया था और इसे एक अलग कैटेगरी में डाल दिया था।
  • ऐसा शोधकर्ताओं ने जनवरी के आरंभ में ही किया था।
  • शोधकर्ताओं ने बताया है कि लोम्बारडी के स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से सबसे पहले बीते 20 फरवरी को स्थानीय संक्रमण के बारे में जानकारी दी गई थी।
  • हालांकि, शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन की शुरुआत लोम्बारडी में इससे पहले ही हो गई थी।

यहां किया शोध

  • इस शोध को अंजाम देने के लिए शोधकर्ताओं ने लोम्बारडी में 12 इलाकों को चुना।
  • उन्होंने यहां कोरोना वायरस संक्रमित रक्त के 371 नमूने (blood samples) प्राप्त किए।
  • इनमें से जहां कुछ मरीज कोरोना वायरस के मामूली लक्षण की वजह से अस्पताल में भर्ती थे, तो वहीं कई मरीजों में इसके मध्यम लक्षण थे। इसके अलावा कई गंभीर लक्षण वाले मरीजों का भी शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया।
  • अपने शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि दो अलग-अलग वंशानुक्रम के ये वायरस स्ट्रेन थे।
  • कुछ इलाकों में इनका ज्यादा असर रहा।
  • शोधकर्ताओं ने अपने शोध में यह पाया है कि आरंभ में ही चीन ने जिस वायरल स्ट्रेन को अलग कर लिया था, उन्हें अपने शोध में वह वायरल स्ट्रेन नहीं मिला है।

पहले के अध्ययनों में भी

  • यह पहला मौका नहीं है जब कोरोना वायरस के चीन से नहीं आने की बात किसी शोध में की गई है।
  • पेरिस, न्यूयॉर्क और स्पेन में भी इससे पहले कई अध्ययनों में यह बताया जा चुका है कि सीधे तौर पर चीन से कोरोना वायरस का कोई संबंध नहीं रहा है।
  • इटली ने हालांकि जनवरी में ही चीन के यात्रियों पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसके बावजूद इटली में कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ा था।
  • इटली नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (Italian National Institute of Health) ने भी एक अध्ययन किया है। इसमें इसके द्वारा बताया गया है कि दिसंबर में ही इटली के ट्यूरिन और मिलान शहर में सीवरेज के पानी में कोरोना वायरस नजर आ गए थे।

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