कोरोना वायरस की वजह से बिगड़ती जा रही युवाओं की मानसिक हालत
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UK poll finds young people’s mental health hit by corona virus

कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड-19 (COVID-19) से लड़ने के लिए पूरी दुनिया में शोध और अनुसंधान चल रहे हैं। हर कोई अपने स्तर से इसका इलाज ढूंढ़ने की कोशिशों में लगा हुआ है। महामारी का फैलाव नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है। भारत में भी कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों में तेजी आई है।

हाल ही में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि भले ही कई शोधकर्ताओं द्वारा यह दावा किया जा रहा हो कि कोरोना वायरस से युवाओं को ज्यादा खतरा नहीं है, लेकिन इसी कोरोना वायरस की वजह से युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य कुप्रभावित होने लगा है। कहने का तात्पर्य है कि हो सकता है कि कोरोना वायरस शारीरिक तौर पर इन युवाओं को ज्यादा नुकसान न पहुंचा पाए या इनकी जान न ले, मगर मानसिक तौर पर इसने युवाओं को परेशान जरूर कर दिया है।

क्या है सर्वे में?

यूके में अंजाम दिये गये इस शोध में यह बात सामने आये हैं कि जिन युवाओं को मानसिक तौर पर किसी भी प्रकार की समस्या रही है, उनमें से 80 प्रतिशत से भी अधिक युवाओं ने इस बात को माना है कि जब दुनियाभर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला है, तब से वे मानसिक तौर पर परेशान रहने लगे हैं।

इस अध्ययन को मेंटल हेल्थ चैरिटी यंगमाइंड्स (The Mental Health Charity YoungMinds) की ओर से अंजाम दिया गया है। इसमें उन युवाओं को अध्ययन किया गया है, जिनकी उम्र 25 साल या इससे कम की थी और जिन्हें किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या पहले से रही है। ऐसे 2 हजार 111 युवाओं से शोधकर्ताओं ने यह सवाल किया कि कोरोना वायरस का उनके जीवन पर क्या असर पड़ा है।

ये मिले जवाब

  • इस सवाल के जवाब में 83 प्रतिशत युवाओं की ओर से यह जवाब मिला कि मानसिक तौर पर वे खुद को परेशान महसूस कर रहे हैं।
  • वहीं, इसके जवाब में 32 प्रतिशत युवा यह कहने वाले निकले कि उन्हें बहुत ही बुरा लग रहा है।
  • साथ ही सर्वे में 51 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अपनी मानसिक हालत के थोड़ा बदतर होने की बात इस सर्वे में स्वीकारी है।
  • ब्रिटेन में भी कोरोना वायरस का संक्रमण गंभीर रूप अख्तियार कर चुका है। यह सर्वे भी ब्रिटेन में 20 से 25 तक उस दौरान किया गया, जब यहां के स्कूलों को स्टूडेंट्स के लिए बंद रखा गया था।

इनका सर्वाधिक प्रभाव

सर्वे के दौरान इन स्टूडेंट्स से यह भी पूछा गया कि आखिर ऐसी कौन-सी चीज है, जिसके कारण वे महसूस कर रहे हैं कि उनका मानसिक स्वास्थ्य इससे कुप्रभावित हुआ है। इस पर जो उत्तर शोधकर्ताओं को मिले, उनमें सबसे पहले नंबर पर दिनचर्या को बताया गया, जबकि दूसरे नंबर पर सामाजिक दूरी रही यानी कि सोशल डिस्टेंसिंग, जिसकी वकालत इस वक्त कोरोना वायरस के संक्रमण को दूर रखने के लिए की जा रही है।

किसी त्रासदी से कम नहीं

इस बारे में यंगमाइंड्स की सीईओ एम्मा थाॅमस (Emma Thomas) ने कहा है कि महामारी किसी त्रासदी से कम नहीं होती। यह मानव त्रासदी के तौर पर सामने आती है। कोई भी समाज में इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहता है। हर किसी को किसी-न-किसी रूप में यह प्रभावित करती ही है। उनके सर्वे के आधार पर यह बात सामने आई है कि युवाओं को मानसिक तौर पर कोरोना वायरस के संक्रमण ने प्रभावित किया है। संभव है कि कोविड-19 नामक यह बीमारी आगे भी उनके मानसिक स्वास्थ्य पर अपना बुरा असर डालती रहे।

क्या है सुझाव?

इसके संबंध में इस सर्वे का नेतृत्व करने वालों में से एक टॉम मैडर्स (Tom Madders) ने इसे लेकर कहा कि सरकार ने जो संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कदम उठाये हैं, उनका अधिकतर युवाओं की ओर से स्वागत किया गया है। हालांकि रोजमर्रा की कुछ गतिविधियों, जिन्हें कि इस वक्त प्रतिबंधित कर दिया गया है, उससे वे खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।

इस बात को अधिकतर युवाओं ने स्वीकार किया है कि कोविड-19 का नकारात्मक प्रभाव आगे भी उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ते रहने वाला है। शोधकर्ताओं का इसे लेकर मानना है कि सोशल मीडिया के जरिये लोग चाहें तो अपने दोस्तों के साथ और परिवार के लोगों के साथ जुड़े रह सकते हैं, जिससे कि उन्हें ज्यादा परेशानी मानसिक तौर पर नहीं होगी, लेकिन इसका भी दायरा सीमित ही रहे तो बेहतर होगा।

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