समझिए, 21 दिनों का लॉकडाउन क्यों था ज़रूरी और इससे किस तरह टूट जाएगा कोरोना वायरस का चेन?
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Here’s how a 21-day lock down might help break the Covid-19 chain

कोरोना क्विक अपडेट

  • स्वास्थ्य मंत्रालय के 15 मई 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में अभी कोरोना के 3673802 एक्टिव केस हैं, 20432898 लोग ठीक हो चुके हैं और 266207 की मृत्यु हो चुकी है।
  • वेबसाइट वर्ल्डमीटर्स.इनफो के मुताबिक, भारत कोरोना से मृत्यु के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना से पूरी दुनिया में अब तक 16,15,13,458 लोग संक्रमित हुए हैं और 33,52,109 लोग दम तोड़ चुके हैं।
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 24 और 25 मार्च की मध्यरात्रि से पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। यह लॉकडाउन 21 दिनों का है और 14 अप्रैल तक रहेगा। लॉकडाउन का एलान इस उम्मीद से किया गया कि इससे देश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोका जा सकेगा। लॉकडाउन से इसका समुदायों के बीच फैलाव नहीं हो पाएगा और इससे छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।

क्या कहते हैं WHO और CDC?

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के मुताबिक कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में 2 से 14 दिनों का वक्त लग जाता है।
  • WHO के मुताबिक कोरोना वायरस का संक्रमण दिखने में सामान्यतः 5 दिनों का वक्त लग जाता है। वैसे तो अधिकतर मामलों में ऐसा ही देखने को मिला है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनकी पहचान करना बहुत ही मुश्किल रहा है।
  • वैसे कुछ नए शोध में यह बताया गया है कि यह अवधि 24 दिनों की भी हो सकती है।
  • बहरहाल, अगर लॉकडाउन ठीक से लागू हुआ और जनता ने धैर्य व संयम दिखाते हुए सरकारी निर्देशों का पूर्णतः पालन किया तो संक्रमण के ज्यादातर मामले 14 दिन के भीतर सामने आ जाएंगे।
  • 21 दिनों के लॉकडाउन के भीतर संक्रमण के जो मामले कन्फर्म हो जाएंगे, सरकार उनका समुचित इलाज करके उन्हें ठीक कर देगी और जिन लोगों में इसका संक्रमण नहीं पाया जाएगा, वे आराम से अपनी दिनचर्या के कामों में जुट सकेंगे।

रक्त और मल से भी फैलाव

जर्नल ऑफ द मेडिकल अमेरिकन एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित एक रिव्यू पेपर में बताया गया है कि इसके खत्म होने की अवधि जितनी अधिक होती है, क्वॉरेंटाइन उतना ही मुश्किल हो जाता है और बीमारी के संक्रमण की आशंका बढ़ती जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि कोरोना वायरस का संक्रमण केवल ड्रॉपलेट्स से ही नहीं फैलता है, जो कि छींकने, खांसने या फिर जोर से हंसने के दौरान बाहर आते हैं, बल्कि यह खून और मल के माध्यम से भी फैलता है। ऐसे में इसके फैलाव के तरीके पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

यूं करता जाता है संक्रमित

  • ऐसे में इस वक्त यह जरूरी हो गया है कि लोगों को पूरी तरीके से बंद कर दिया जाए और इस वायरस की जड़ पर प्रहार करके इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए।
  • कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत ही तेजी से फैलता है। एक व्यक्ति से यह 2 लोगों में 5 दिनों के अंदर पहुंच जाता है। साथ ही क्वॉरेंटाइन न करने की स्थिति में 30 दिनों में यह 244 लोगों को संक्रमित कर सकता है।
  • अब जब पूरा देश इस वक्त लॉकडाउन की स्थिति में है और कोई बाहर नहीं निकल सकता है, तो ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए यह पहचान करना थोड़ा आसान हो जाएगा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के शिकार कितने लोग हैं।
  • इसके आधार पर उनका इलाज करके धीरे-धीरे कोरोना वायरस के संक्रमण से आजादी पाई जा सकेगी।
  • इससे कोरोना वायरस के संक्रमण का चेन टूट जाएगा। किसी व्यक्ति में संक्रमण का यदि संदेह हो और उसमें संक्रमण की पुष्टि हो जाए तो उसे दूसरे लोगों से मिलने से रोककर उसका इलाज करके वायरस को वहीं पर खत्म किया जा सकता है। इससे यह आगे नहीं फैलेगा और उसका चेन उसी मरीज के साथ टूट जाएगा।

इन देशों से सीखने की जरूरत

  • दक्षिण कोरिया में भी शुरुआत में मामले बहुत तेजी से बढ़े थे, लेकिन इसी तरह का कदम उठाने से बाद में उसने स्थिति पर कंट्रोल कर लिया। देश में 27 मार्च को भारतीय समय के अनुसार शाम 4 बजे तक कोरोना वायरस के संक्रमण के 9332 मामले प्रकाश में आए हैं, जिनमें से 139 लोगों की मौत हुई है।
  • यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार बीते 17 मार्च तक दक्षिण कोरिया ने 2 लाख 70 हजार लोगों की जांच की थी, जिसका मतलब यह हुआ कि प्रति 10 लाख पर उसने 5200 लोगों को जांचा, जबकि अमेरिका ने प्रति दस लाख की आबादी पर केवल 74 लोगों की ही जांच की है।
  • सिंगापुर में 27 मार्च को भारतीय समय के अनुसार शाम 4 बजे तक संक्रमण के 683 मामले प्रकाश में आए हैं, जिनमें से 2 मरीजों की मौत हुई थी। सिंगापुर ने स्थिति पर इसलिए नियंत्रण पाया है, क्योंकि इसने संक्रमित मरीजों को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज नहीं किया है। यहां एक टीम बना दी गई है, जो फोन करके हरसंभव जगह से संक्रमित लोगों को सामने ला रही है और सीसीटीवी कैमरे से भी लोगों पर नजर रख रही है।

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