हल्के में न लें मिर्गी को, जानिए इसके कारण, लक्षण, प्रकार और उपचार
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Treatments of Epilepsy (Mirgi) in hindi

कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग काम करते-करते अचानक से बेचैन हो जाते हैं। उन्हें किसी चीज की सुध-बुध नहीं रहती। शरीर भी अकड़ जाता है। ये दरअसल मिर्गी के लक्षण हैं। वैसे, मिर्गी के ऐसे कई लक्षण हैं, जिसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते। इसलिए यहां हम आपको विस्तार से मिर्गी के प्रकार, इसके लक्षण, कारण और घरेलू इलाज आदि के बारे में बता रहे हैं, ताकि इससे आप अपनी और किसी अन्य जरूरममंद की भी रक्षा कर सकें।

इसे कहते हैं मिर्गी (What is Epilepsy)

  • मस्तिष्क में तंत्रिका तंत्र ही शरीर के अन्य हिस्सों को कुछ भी करने के लिए संदेश भेजता है, मगर मिर्गी में यह प्रभावित हो जाता है।
  • इसके प्रभावित होने से शरीर के अंगों तक संदेश न पहुंच पाने की स्थिति में न तो इंसान संवेदनाएं जाहिर कर पाता है और न ही अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर पाता है।
  • कई बार बेहोशी भी आ जाती है और झटका भी महसूस होता है। इस स्थिति को मिर्गी आना कहते हैं।

मिर्गी के प्रकार (Types of Epilepsy)

  • मिर्गी का पहला प्रकार जनरलाइज्ड सीजर्स है, जो कि दिमाग के दोनों हिस्सों को प्रभावित करता है, उसमें एब्सेंस सीजर्स के तहत थोड़ी देर के लिए अपनी सुध-बुध खोकर पीड़ित व्यक्ति एकटक शून्य में निहारने लगता है, जबकि टाॅनिक क्लोनिक सीजर्स में मरीज चिल्लाता है, उसकी मांसपेशियां अकड़ती हैं या फिर उसे बेहोशी आ जाती है। इसके खत्म होने पर मरीज को बहुत थकावट भी महसूस होती है।
  • मिर्गी का दूसरा प्रकार फोकल सीजर्स, जिसमें दिमाग का एक विशेष हिस्सा प्रभावित होता है और जिसे आंशिक दौरे के नाम से भी जानते हैं, इसमें सिंपल फोकल सीजर्स के तहत दिमाग का बहुत ही छोटा हिस्सा प्रभावित होने से समझ ही नहीं आता कि दौरा भी पड़ा है। इस दौरान शरीर में हल्की झनझनाहट होती है। साथ ही स्वाद और गंध में थोड़ी भिन्नता महसूस होने लगती है।
  • फोकल सीजर्स के तहत कांप्लेक्स फोकल सीजर्स में कुछ समय के लिए मरीज भ्रमित हो जाता है। वह कुछ सोच-समझ नहीं पाता है।
  • फोकल सीजर्स के अंतर्गत ही सेकेंडरी जनरलाइज्ड सीजर्स में मरीज के दिमाग का एक बेहद छोटा सा हिस्सा सबसे पहले प्रभावित होता है और धीरे-धीरे इसका फैलाव दिमाग के अन्य हिस्सों में भी हो जाता है।
  • इस बात का ध्यान आप जरूर रखें कि मिर्गी का दौरा जो कि कभी बेहद छोटे समय और कभी बेहद लंबे समय के लिए होता है, आप तुरंत इसमें डाॅक्टर के पास चले जाएं।

क्यों आती है मिर्गी? (Reasons behind Epilepsy)

  • जब गर्भावस्था में ही किसी वजह से कोई चोट आ गई हो।
  • जब मस्तिष्क में खून का बहाव रुक जाता है। इसे सिएंट इस्कीमिक अटैक के नाम से जानते हैं।
  • जन्म के समय ही यदि उपापचय से संबंधित किसी प्रकार की समस्या हो जाए।
  • दिमाग की रक्त वाहिकाएं यदि बेहद असामान्य हो जाएं।
  • जब किसी दुर्घटना में किसी तरह की मानसिक क्षति हो जाती है।
  • यदि जन्म के दौरान विकास ठीक से न हो तब भी मिर्गी की समस्या हो सकती है।

कैसे पहचानें कि मिर्गी है? (Symptoms of Epilepsy)

  • बेहोशी आना
  • चक्कर आना।
  • भ्रमित होना।
  • सोच-समझ नहीं पाना
  • मुंह से झाग निकलना
  • सुध-बुध खत्म हो जाना।
  • शरीर में झनझनाहट होना।
  • मांसपेशियों में अकड़न महसूस होना।
  • स्वाद बदल जाना और गंध भी अलग लगना।

इससे भी रहता है मिर्गी का खतरा (Causes for Epilepsy)

  • मानसिक क्षमता घटने वाली बीमारी डिमेंशिया या भूलने वाली बीमारी अल्जाइमर के कारण।
  • एड्स के कारण, क्योंकि इसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है।
  • परिवार में यदि मिर्गी का इतिहास रहा हो तो आनुवंशिक कारणों से।
  • दिमाग की नसों में सूजन या फोड़ा होने जैसे दिमागी संक्रमण की वजह से।
  • दिमाग के टिश्यू को कमजोर या नष्ट करने वाली किसी बीमारी के कारण।
  • ब्रेन ट्यूमर के कारण भी मिर्गी का खतरा रहता है।

कब जाएं डाॅक्टर के पास? (When to see a doctor in Epilepsy)

मिर्गी के लिए तो उचित यही होता है कि जब भी पहली बार किसी को मिर्गी का दौरा आये तो उसे डाॅक्टर के पास ले जाना चाहिए, मगर यहां जो कुछ स्थितियों के बारे में हम आपको बता रहे हैं, इनमें डाॅक्टर के पास मरीज को ले जाने में जरा भी देरी नहीं करनी चाहिए।

  • जब मिर्गी का दौरा लंबे समय तक आये।
  • जल्दी-जल्दी जब मिर्गी का दौरा आने लगे।
  • जब किसी को केवल दौरा ही न पड़े, बल्कि उसमें मानसिक परेशानी भी नजर आने लगे।
  • मिर्गी का दौरान कुछ मिनट के गैप के बाद एक से अधिक बार पड़े।

ये टेस्ट कराने की सलाह देते हैं डाॅक्टर (Doctors’ advice in Epilepsy)

  • शारीरिक जांच के बाद और पारिवारिक इतिहास को जानने के बाद डाॅक्टर भी कुछ समझ न आने की स्थिति में डाॅक्टर सबसे पहले EEG कराने के लिए कहते हैं, जिसे कि Electroencephalogram कहते हैं। इसमें मरीज को एक दिन या फिर एक हफ्ता के लिए EEG पहनाकर यह पता किया जाता है कि दौरे के वक्त मस्तिष्क का कौन-सा हिस्सा चपेट में आ रहा है।
  • कई बार डाॅक्टर मरीज को हाॅस्पीटल में रखकर EEG रिकाॅर्डर एवं कैमरे के जरिये वीडियो EEG करके दौरे के समय शारीरिक लक्षणों को अच्छी तरह से परखते हैं।
  • संक्रामक बीमारियों की जांच डाॅक्टर करवा सकते हैं।
  • किडनी और लिवर के भी काम करने की जांच डाॅक्टर कराते हैं।
  • खून और ब्लड शुगर की भी जांच होती है।
  • एमआरआई और सीटी स्कैन भी हो सकता है।
  • कंप्लीट ब्लड काउंट और रीढ़ की हड्डी की भी जांच डाॅक्टर करवा सकते हैं।

डाॅक्टर ऐसे करते हैं इलाज (How doctor treat Epilepsy)

  • डाॅक्टर शुरुआत में तो मस्तिष्क में नुकसान को ठीक करने वाली दवा Anticonvulsants देकर धीरे-धीरे इसकी मात्रा घटाते या बढ़ाते हैं।
  • यदि रक्त वाहिकाएं अनियंत्रित हो जाती हैं या फिर दिमाग में खून बहता है तो ऐसे में प्रभावित जगह की डाॅक्टर सर्जरी भी करते हैं।
  • डाॅक्टर को जरूरत महसूस हो तो वे अनियंत्रित हो चुकीं रक्त वाहिकाओं को सर्जरी के जरिये हटा भी सकते हैं।
  • जैसे हृदय की धड़कनों को नियंत्रित करने के लिए डाॅक्टर पेसमेकर लगा देते हैं, वैसे ही मिर्गी में भी डाॅक्टर Vagal Nerve Stimulator नामक एक कृत्रिम उपकरण दिमाग में फिट करते हैं।
  • मिर्गी की समस्या यदि बच्चों में होती है तो डाॅक्टर आमतौर पर कम कार्बोहाइड्रेट एवं अधिक प्रोटीन व वसा वाले आहार लेने के लिए कहते हैं।

घर में ऐसे करें मिर्गी का उपचार (Home remedies for Epilepsy)

(1) विटामिन की मदद लें (Vitamins)

  • विटामिन बी6 वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि गेंहू, बाजरा, जौ, मक्का, मटर, ग्रीन बीन्स, अखरोट, केले, बंद गोभी, सोया बीन्स, गाजर और हरी सब्जियों को अपने आहार का हिस्सा बना लें। विटामिन बी6 के लिए आप मांसाहार जैसे कि अंडे, मछली, चिकन और मटन आदि का भी सेवन कर सकते हैं, हालांकि tanman.org शाकाहार को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • विटामिन ई वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि बादाम, मूंगफली, अखरोट, सूरजमुखी का तेल, गेहूं, सोयाबीन, मक्का और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
  • विटामिन बी9 यानी कि फोलिक एसिड वाले खाद्य पदार्थों जैसे कि बाजरा, ज्वार, सूखा मक्का, गेहूं का आटा, काला चना, दला हुआ काला चना, दली हुई मूंग, दली हुई उड़द, भुना हुआ काला चना, दली हुई अरहर, मसूर, पालक, ग्वार फली, चैलाई का साग, भिंडी, करी पत्ता, अरबी, फ्रांस बीन्स, तिल, मूंगफली, सूखा नारियल आदि को आहार में शामिल करना जरूरी है।
  • विटामिन डी से युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि दूध, मछली, कैल्शियल नियमन का सेवन करना चाहिए और धूप सेंकना चाहिए।
  • विटामिन के वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि ब्रोकली, पत्ता गोभी, पालक, शलजम और चुकंदर का सेवन भी बहुत ही जरूरी है।

(2) नारियल के तेल से (With Coconut Oil)

  • नारियल के तेल में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होने के साथ फैटी एसिड की मौजूदगी की वजह से मिर्गी के प्रभाव को कम करने में इसकी बड़ी भूमिका होती है।
  • इसके लिए भोजन पकाते वक्त इसमें नारियल तेल को प्रयोग में लाया जा सकता है।
  • साथ ही सलाद में भी इसे डालकर खा सकते हैं।

(3) सीबीडी तेल से

  • दिमाग को होने वाले नुकसान को दूर करने वाला एंटी-ऐपिलेप्टिक प्रभाव से सीबीडी तेल युक्त होता है।
  • ड्राॅप की सहायता से करीब 10 ग्राम सीबीडी तेल को मुंह में जीभ के नीचे एक मिनट तक रखकर इसे निगल लेना होता है। दिन में एक बार ही इसका प्रयोग करना होता है।
  • वैसे, इसका इस्तेमाल करने से पहले डाॅक्टर की सलाह भी जरूर ले लेनी चाहिए।

क्या न खाएं? (What not to eat in Epilepsy)

  • पिज्जा
  • चिप्स
  • खजूर
  • केला
  • किशमिश
  • पास्ता
  • आम
  • मसले हुए आलू

ऐसे दूर रखें मिर्गी की बीमारी (Tips to keep Epilepsy away)

  • नींद अच्छी तरह से लें।
  • आहार आपका संतुलित होना चाहिए।
  • किसी भी प्रकार का नशा न करें।
  • हेलमेट पहनकर ही गाड़ी चलाएं, क्योंकि एक्सीडेंट के वक्त दिमाग को चोट पहुंचने से मिर्गी की बीमारी हो सकती है।

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