ब्रेन स्ट्रोक आने से पहले शरीर करता है ये इशारे, बच सकती है जिंदगी
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Body gives these indications before brain stroke

इन दिनों ब्रेन स्ट्रोक की समस्या बेहद आम होती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक हर छठे आदमी को ब्रेन स्ट्रोक आने का खतरा रहने लगा है। यहां तक कि युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक को मस्तिष्क आघात, दिमागी दौरा, ब्रेन अटैक, ब्रेन हैमरेज आदि भी कहते हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं ब्रेन स्ट्रोक के कारण, लक्षण और इससे बचाव के उपाय।

ब्रेन स्ट्रोक के कारण

ब्रेन स्ट्रोक (stroke) तब आता है, जब दिमाग के किसी हिस्से में खून की सप्लाई (blood supply) ठीक तरीके से नहीं हो पाती है या फिर खून बिल्कुल भी नहीं पहुंच पाता है। ऐसे में दिमाग तक ऑक्सीजन (oxygen) और जरूरी पोषक तत्व (nutrients) नहीं पहुंच पाते हैं। इस सूरत में एक-दो मिनट में ही मस्तिष्क की कोशिकाएं (brain cells) जवाब देने लगती हैं। इलाज में महज कुछ सेकेंड की दूरी या तो जीवन भर के लिए अपंग (handicap) बना देती है या फिर जान भी ले लेती है। हालांकि, ब्रेन स्ट्रोक आने से करीब एक माह पहले ही शरीर कुछ इशारे करने लगता है, जिसे यदि आप समझ लें, तो आप वक्त रहते इसका इलाज करके इसे आने से रोक सकते हैं।

कई मामलों में दिमाग में ब्लीडिंग होने और ब्लड क्लॉट बनने यानी खून का थक्का जमने से भी ब्रेन स्ट्रोक आ सकता है। ऐसा अक्सर किसी भी वजह से सिर में गंभीर चोट लगने की स्थिति में हो सकता है। जब मस्तिष्क को खून पहुंचाने वाली नलिकाएं फट जाती हैं तो इसे ब्रेन हैमरेज होना कहते हैं। इसकी वजह से पक्षाघात यानी लकवा मारने, बोलने में परेशानी होने और याद्दाश्त चले जाने आदि की समस्याएं भी हो सकती हैं।

ब्रेन स्ट्रोक आने से पहले के लक्षण

  1. मस्तिष्क में जब खून के पहुंचने में बाधा आने लगती है, तो बोलने की क्षमता पर असर होने लगता है। लोग बोलते-बोलते रुकने लगते हैं। ऐसा यदि आपके साथ भी हो तो समझ लें कि ब्रेन स्ट्रोक आने वाला है।
  2. कभी यदि आपकी आंखों के सामने अंधेरा छा जाए (blackout) या फिर एक या दोनों आंखों से चीजें धुंधली (blur) दिखने लगे, तो समझ लेना चाहिए कि यह ब्रेन स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
  3. जब आपके मस्तिष्क में खून की सप्लाई बाधित होने से ऑक्सीजन ठीक से नहीं पहुुंच पाता है, तो आप कई बार चलते-चलते अचानक गिर जाते हैं। शरीर असंतुलित (dis-balance) होने लगता है। चक्कर आने लगते हैं। ये सब ब्रेन स्ट्रोक आने के लक्षण हो सकते हैं।
  4. शरीर के एक भाग में सामान्यतः ब्रेन स्ट्रोक असर करता है। कभी ऐसा हो कि आपको शरीर के एक तरफ हाथों में या फिर चेहरों में या पैरों में कमजोरी (weakness) महसूस होने लगे तो समझ लेना चाहिए कि ब्रेन स्ट्रोक आने वाला है।
  5. कभी यदि बिना किसी कारण के आपके सिर में दर्द होने (headache) लगे और फिर अपने-आप ठीक भी जाए। कभी जी मचलाने लगे या कभी चक्कर आने लगे, तो ये भी ब्रेन स्ट्रोक के आने का संकेत हो सकते हैं। कई बार तो बेहोशी की हालत भी आ जाती है।
  6. यदि कभी आपको ऐसा महसूस हो कि आप समझ ही नहीं पा रहे हैं कि आपको करना क्या है? सोचने-समझने की ताकत (strength) आपकी एक पल के लिए खो गई है, तो जान लीजिए कि यह ब्रेन स्ट्रोक आने का शुरुआती इशारा हो सकता है।

इन लोगों को हो सकता है अधिक खतरा

  • हाई बीपी (High Blood Pressure) और हाइपर टेंशन के मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक आने का खतरा अधिक होता है। खास कर सर्दी के मौसम में सुबह के समय ऐसे लोगों का ब्लड प्रेशर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक आने का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों में भी इसका खतरा काफी अधिक होता है।
  • इसी तरह, मोटापा भी ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है, इसलिए मोटापे पर नियंत्रण रखें।
  • शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से भी यह समस्या हो सकती है।
  • जो लोग कम फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, उनमें भी ब्रेन स्ट्रोक आने का खतरा अधिक होता है।
  • धूम्रपान, शराब और गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन भी ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है।

ऐसे कर सकते हैं जांच (How to test)

  • यदि ये इशारे कभी भी आपको मिले, तो मुस्कुराने (smile) का प्रयास करें।
  • यदि हंसते वक्त चेहरे का एक तरफ का हिस्सा लटक जाए तो यह ब्रेन स्ट्रोक आने का इशारा करता है।
  • दोनों हाथ यदि एक साथ ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं, तो यह भी बताता है कि ब्रेन स्ट्रोक आ गया है।
  • इन परिस्थितियों में तुरंत डाॅक्टर (doctor) से संपर्क करना चाहिए।

अगर ब्रेन स्ट्रोक आ जाए तो…

अगर ब्रेन स्ट्रोक आ जाए तो बिना किसी देरी के मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएं। शुरू के तीन घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। अगर इस दौरान मरीज को उचित इलाज नहीं मिलता है, तो उसकी जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है।

ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए सावधानियां

  • हमेशा पौष्टिक भोजन करें, जिसमें एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी और ई की मात्रा अधिक हो।
  • गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर खाएं, क्योंकि इनमें एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत अधिक होती है।
  • गाजर, टमाटर, जामुन आदि का भी सेवन खूब करें।
  • साबुत अनाज खाएं, क्योंकि ये फाइबर के अच्छे स्रोत होते हैं और डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में काफी मददगार होते हैं।
  • भोजन में अदरक का सेवन अवश्य करें, क्योंकि इससे खून पतला होता है, जिससे थक्का बनने की आशंका कम हो जाती है।
  • ओमेगा फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे अखरोट, सोयाबीन आदि खाएं, क्योंकि ये कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं, जिससे खून जमने का खतरा कम हो जाता है।
  • भोजन में नमक, कोलेस्ट्रॉल, ट्रांस फैट और सेचुरेटेड फैट की मात्रा कम होनी चाहिए।
  • हमेशा तनाव से बचकर रहें। मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए ध्यान लगाएं यानी मेडिटेशन का सहारा लें।
  • नियमित रूप से योग और व्यायाम करें। फिजिकल एक्टिविटी में कमी न आने दें।
  • अपना वजन जरूरत से ज्यादा न बढ़ने दें।
  • हार्ट, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीज विशेष सावधानी बरतें।
  • महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन न करें।
  • धूम्रपान, शराब या किसी भी नशीले पदार्थ के सेवन से बचकर रहें।

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