आंखों की इस खतरनाक बीमारी की ओर इशारा करते हैं नजरों के सामने तैरते काले धब्बे
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Black spots before eyes could be the sign of this dangerous eye disease

हम सभी जानते हैं कि शरीर के लिए आंखें कितनी महत्वपूर्ण हैं? ऐसे में इनका विशेष ख्याल रखना जरूरी है। इसमें कोई समस्या हो तो परेशान होना लाजमी है। इसी तरह की एक समस्या है आंखों के सामने काला धब्बा (black spot) सा दिखना या फिर काली लकीरें नजर आना। आइए, हम आपको बताते हैं कि यह क्या है, क्यों होता है और इसका क्या उपचार है?

न करें नज़रअंदाज़

बहुत से लोग इस पर ज्यादा गौर नहीं करते, लेकिन यदि आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो इसे नजरअंदाज भारी पड़ सकता है, क्योंकि यह आंखों की एक गंभीर बीमारी की ओर इशारा करता है। इसे फ्लोटर्स कहते हैं।

क्या है फ्लोटर्स? (What is floaters)

  • आंखों के सामने यदि काले रंग के धब्बे, लकीरें (lines) या डाॅट्स (dots) आदि तैरते नजर आएं, तो ये फ्लोटर्स हैं।
  • आंखों को आसमान की ओर करने पर ये नजर आते हैं।
  • हमें लगता है कि ये नजर के सामने तैर रहे हैं, मगर ये आंखों के अंदर (inside eyes) की सतह पर ही असल में तैर रहे होते हैं।
  • विट्रियस (vitreous) नाम का आंखों के भीतर जेली (jelly) जैसा तत्व जो आंखों के अंदर खोखली जगह को भरने का काम करता है, बढ़ती उम्र के साथ इसके कम होने से आंखों में कुछ गुच्छे बनने शुरू हो जाते हैं, जिन्हें फ्लोटर्स कहा जाता है।

फ्लोटर्स या काले धब्बे की वजह (Causes of Floaters or Black Spots)

  • बढ़ती उम्र की वजह से।
  • पोस्टीरियर विट्रियस डिटैचमेंट (posteriors vitreous detachment) यानी कि पी.वी.डी की वजह से। इसमें रेटिना से विट्रियस का खिंचाव शुरू हो जाता है।
  • विट्रियस को क्षतिग्रस्त (vitreous hemorrhage) होने से काले धब्बे दिख सकते हैं।
  • माइग्रेन (migraine) के कारण भी ऐसा होता है।
  • काले धब्बे ही नहीं कई बार चमकीली रोशनी भी आखों में नजर आती है। यह प्रायः नजर के केवल एक ओर ही नजर आती है, जिसे फ्लैशेस (flashes) कहा जाता है।
  • फ्लैशेस भी रेटिना से विट्रियस के खिंचाव के कारण ही होता है।
  • करीब 15-20 मिनट तक आपको जब आंखों के सामने चमकीली धारियां (shining lines) सी नजर आती हैं, तो यह माइग्रेन की ओर इशारा करता है।

फ्लोटर्स और फ्लैशेस इतने खतरनाक क्यों? (Why are floaters and flashes so dangerous)

  • दरअसल ये इतने हानिकारक नहीं होते, मगर इनकी वजह से जो आंखों में परिवर्तन होते हैं, वे बेहद नुकसान पहुंचाते हैं।
  • इलाज ठीक से न होने की स्थिति में आंखों की रोशनी भी चली जाती है।
  • कई बार पता ही नहीं चलता कि विट्रियस रेटिना (retina) से अलग हो रहा है, लेकिन यदि विट्रियस सिकुड़ कर रेटिना से खिंच जाता है, तो रेटिना के फटने का भी खतरा पैदा हो जाता है।
  • फटे रेटिना का इलाज तत्काल करना चाहिए, अन्यथा कुछ समय के बाद यह अलग (retinal detachment) भी हो सकता है।
  • कई बार फ्लैशेस यानी कि चमकीली रोशनी की स्थिति में आंखों के एक हिस्से में एकदम अंधेरा सा छा जाता है। ऐसे में आपको किसी रेटिना के विशेषज्ञ को तुरंत दिखाना चाहिए। यह रेटिना के अलग होने की वजह से भी हो सकता है।

क्या है उपचार? (The treatment)

  • किस चरण में फ्लोटर्स और फ्लैशेस हैं, उसके मुताबिक इनका इलाज किया जाता है।
  • पी.वी.डी. के तीव्र लक्षण दिखने पर रेटिना विशेषज्ञ (retina specialist) को दिखाना एकदम जरूरी है।
  • विट्रियस हेमरेज यानी कि विट्रियस किसी वजह से यदि क्षतिग्रस्त हुआ हो जैसे कि चोट लगने के कारण तो तुरंत डाॅक्टर को दिखाना चाहिए। अन्यथा यह रेटिना के अलग होने का कारण बन सकता है।
  • फ्लोटर्स और फ्लैशेस की स्थिति में आंखों का चेकअप (eyes checkup) आपको करा ही लेना चाहिए, ताकि आपके रेटिना को भी कोई नुकसान न हो सके।
  • वैसे अधिकतर मामलों में धीरे-धीरे फ्लोटर्स खुद चले जाते हैं और ज्यादा कष्ट भी नहीं देते।
  • आपको यदि इससे दिक्कत आ रही है और रोज का काम प्रभावित होने लगा है तो फ्लोटर्स करेक्शन सर्जरी के लिए आप नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।
  • रेटिना में छेद यानी कि रेटिनल टीयर होने की स्थिति में लेजर सर्जरी या फिर क्रायोथेरेपी की जरूरत डाॅक्टर की सलाह के अनुसार कराना उचित होता है।

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