यहां पाएं कंजंक्टिवाइटिस के बारे में ए-टू-ज़ेड जानकारी
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A to Z about Conjunctivitis

कंजक्टिवाइटिस (conjunctivitis) आंखों में होने वाला एक संक्रामक रोग है, जिसे गुलाबी आंख या पिंक आई या फिर आंख आना के नाम से भी जानते हैं। आइए इस लेख में हम इसके अलग-अलग प्रकार, कारण, लक्षण और उपचार के बारे में जानते हैं।

कंजक्टिवाइटिस क्या है? (What is Conjunctivitis)

इस बीमारी की चपेट में आने पर आंखें गुलाबी या लाल (red) रंग की दिखने लगती हैं। दरअसल, आंखों के सफेद हिस्से और पलकों के अंदर का जो पतला आवरण होता है, उसमें इस बीमारी का शिकार होने पर सूजन (swelling) आ जाती है। चूंकि यह फैलता है, इसलिए स्कूल (school) जाने वाले बच्चों या फिर ऑफिस (office) में काम करने वाले कर्मचारियों के बीच यह एक से दूसरे में संक्रमण के कारण पहुुंच भी जाता है।

कंजक्टिवाइटिस के अलग-अलग प्रकार और कारण (Types and causes of Conjunctivitis)

कंजक्टिवाइटिस तीन प्रकार के होते हैं, जिनके बारे में यहां हम आपको बता रहे हैं-

  1. वायरस की वजह से कंजक्टिवाइटिस होता है। इसे वायरल कंजक्टिवाइटिस (Viral Conjunctivitis) भी कहते हैं। इसमें उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। यह ऐसे ही ठीक हो जाता है।
  2. बैक्टीरिया की वजह से जो कंजक्टिवाइटिस होता है, उसे बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस (Bacterial Conjunctivitis) कहते हैं और इसे थोड़ा गंभीर माना जाता है। इसका उपचार कराना यानी कि डाॅक्टर के पास जाना जरूरी होता है।
  3. धूल, रूसी और गंदगी की वजह से भी यह होता है, जिसे एलर्जी कंजक्टिवाइटिस (Allergy Conjunctivitis) कहते हैं।

कंजक्टिवाइटिस के लक्षण (Symptoms of Conjunctivitis)

तीनों तरह के कंजक्टिवाइटिस के लक्षणों में थोड़ी बहुत विभिन्नता होती है। इनके बीच के अंतर को आप निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर समझ सकते हैं।

(1) वायरल कंजक्टिवाइटिस (Viral Conjunctivitis)

  • आंखें गुलाबी नजर आती हैं।
  • आंखों में पानी ज्यादा नजर आता है।
  • खुजली आंखों में ज्यादा होती है।
  • रोशनी भी आंखों को नहीं सुहाती है।
  • एक या दोनों आंखें इससे प्रभावित हो सकती हैं।
  • यह सबसे ज्यादा संक्रामक होता है। खांसने और छींकने से तेजी से फैलता है।

(2) बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस (Bacterial Conjunctivitis)

  • आंखों के एक कोने में चिपचिपा सा लगता है।
  • आंखों से पीले या पीला लिये हरे रंग के पदार्थ बाहर आते हैं।
  • आखों से इस वक्त निकलने वाले पानी की वजह से पलकें झपकने पर चिपकती भी हैं।
  • इससे भी एक या फिर दोनों आंखें (both eyes) प्रभावित हो सकती हैं।
  • यह भी संक्रामक है और एक से दूसरे में फैलता है।
  • यदि संक्रमित व्यक्ति अपनी आंखों को छू ले और उसी से किसी वस्तु को भी छू ले, तो उस वस्तु को कोई और छूता है, तो कंजक्टिवाइटिस का संक्रमण (infection) उसमें भी पहुंच जायेगा।

(3) एलर्जी वाला कंजक्टिवाइटिस (Allergy Conjunctivitis)

  • इसमें आंखें पानी-पानी दिखती हैं।
  • आंखों में जलन की शिकायत होती है।
  • आंखों में खुजलाहत (itching) ज्यादा होती है।
  • नाक बहने लगती है।
  • रोशनी के प्रति आंखों में संवेदनशीलता विकसित हो जाती है।
  • इससे दोनों ही आखें प्रभावित हो जाती हैं।
  • यह संक्रामक नहीं होती है।

कंजक्टिवाइटिस का उपचार (Treatments for Conjunctivitis)

जिस तरह से कंजक्टिवाइटिस तीन अलग-अलग प्रकार के होते हैं, उसी तरह से इन तीनों के उपचार का तरीका भी अलग-अलग होता है।

(1) वायरल कंजक्टिवाइटिस (Viral Conjunctivitis)

  • यह कई दिनों तक रहता है और बिना किसी उपचार के ही खुद से ठीक भी हो जाता है।
  • वैसे ठंडा पानी दिन में कई बार आंखों में डालने से आराम मिलता है।
  • गीला तौलिया यदि आंखों पर लगाते हैं तो इससे भी आंखों को राहत मिलती है।

(2) बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस (Bacterial Conjunctivitis)

  • नेत्र चिकित्सक से संपर्क करने पर वे आपको एंटीबायोटिक आई ड्राॅप लेने और आंखों में इसकी बूंदेें आवश्यकतानुसार डालने की सलाह देते हैं।
  • कई बार डाॅक्टर आपको मलहम भी लगाने के लिए देते हैं।

(3) एलर्जी वाला कंजक्टिवाइटिस (Allergy Conjunctivitis)

  • इसमें जो दवाएं डाॅक्टर की ओर से दी जाती हैं, वे दरअसल इन्हें बढ़ने से रोकने के लिए होती हैं।
  • ये दवाएं इसके प्रभाव को कम करने में मदद करती हैं।

कंजक्टिवाइटिस के अन्य लक्षण (Other symptoms of Conjunctivitis)

  • आखों का सूखना यानी कि ड्राई आंखों की समस्या होना।
  • बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस के गंभीर होने की स्थिति में अंधेपन की भी नौबत आ सकती है।
  • आंखों का अधिक लाल हो जाना।
  • चिड़चिड़ापन महसूस होना।

इन 10 तरीकों से करें कंजक्टिवाइटिस से बचाव (Top 10 ways to protect yourself from Conjunctivitis)

  1. कभी भी किसी अन्य का रुमाल (handkerchief), तौलिया (towel) या टिश्यू (tissue) आदि इस्तेमाल में न लाएं।
  2. छींकते (sneezing) या खांसते (coughing) वक्त अपनी नाक के साथ मुंह को जरूर ढंक लें।
  3. आंखों को रगड़ने या छूने से पहले हाथ अच्छी तरह से धो लें।
  4. किसी भी सार्वजनिक जगह जैसे स्कूल या ऑफिस आदि से लौटें तो कुछ भी करने से पहले हाथ जरूर अच्छी तरह से धो लें।
  5. सैनिटाइजर तो हमेशा पास रखें, ताकि हाथ धोना बार-बार संभव न हो तो इससे ही हाथों को साफ कर लें।
  6. बाथरुम की नल के हैंडल, बाल्टी व मग एवं फोन (phone) आदि को एंटीसेप्टिक क्लीनर (antiseptic cleaner) से साफ करते रहें।
  7. यदि मौसम के मुताबिक एलर्जी की समस्या है, तो डाॅक्टर से पता कर लें कि इसके लक्षणों को कैसे कम कर सकते हैं।
  8. कांटेक्ट लेंस पहनते हैं तो डाॅक्टर के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें।
  9. तैराकी करते समय स्विम ग्लासेज (swim glasses) अवश्य पहनें, ताकि पानी में जो बैक्टीरिया व सूक्ष्मजीव आदि मौजूद हैं, उनसे आंखों का बचाव हो सके।
  10. कांटेक्ट लेंस (contact lens) नहाते समय निकाल कर रख दें, ताकि बैक्टीरिया बीच में फंसकर न रह जाएं।

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