शादी से पहले यह एक काम कर लेंगे तो खुशहाल रहेगी ज़िंदगी
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This one thing prior to marriage will make your life happy

आजकल शादी से पहले जोड़े काउंसलर के पास काउंसलिंग (counseling) के लिए जाने लगे हैं। कई लोगों का मानना है कि यदि शादी से पहले काउंसलिंग करा ली जाए तो इससे नए जोड़े को शादी के बाद आने वाली चुनौतियों के लिए पहले से ही तैयार किया जा सकता है। साथ ही, शादी (marriage) के बाद जो जिम्मेदारियां (responsibilities) आती हैं, उनके बारे में भी उनके भीतर एक अच्छी समझ विकसित की जा सकती है। तो आइए, हम आपको बताते हैं कि आजकल क्यों बढ़ता जा रहा है शादी से पहले काउंसिलिंग का चलन?

शादी से पहले काउंसलिंग (counseling before marriage) के पक्ष में तर्क

  • शादी के बाद अक्सर देखा जाता है कि एक-दूसरे के साथ पहले अजनबी रहने की वजह से जोड़ों के बीच खुलापन नहीं आ पाता है। ऐसे में यदि शादी से पहले दोनों की साथ में काउंसलिंग हो जाती है तो इससे दोनों पहले ही एक-दूसरे के व्यवहार और आदतों आदि के बारे में समझ जाते हैं। इससे शादी के बाद दोनों को एक-दूसरे के साथ जिंदगी बिताने में आसानी होती है।
  • कई बार शादी के बाद जोड़ियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप (blames) करना शुरू कर देती हैं। वे एक दूसरे की गलतियां गिनाने लते हैं। उन्हें एक-दूसरे की जिम्मेदारियों का ठीक तरीके से एहसास नहीं होता, जिस वजह से उनके बीच कलह भी होती है। ऐसे में शादी से पहले काउंसलिंग करवा लेने से दोनों को एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारियों की समझ हो जाती है, जिसके बाद शादीशुदा जिंदगी आसानी से कटती है और दोनों के बीच बेहतर सामंजस्य (coordination) भी बना रहता है।
  • शादी के बाद जिंदगी एक अलग ही रूप लेती है। इस दौरान लाइफस्टाइल (lifestyle) में भी बदलाव आते हैं, क्योंकि दोनों जोड़ों को एक-दूसरे के अनुसार सामंजस्य बैठाना पड़ता है। साथ ही विचारों में भी बदलाव आते हैं, क्योंकि कई तरह की शंका (doubts) भी उत्पन्न होती है। सभी परिस्थितियों से सफलतापूर्वक तालमेल बैठाने के लिए शादी से पहले काउंसलिंग जरूरी होती है, क्योंकि इस दौरान इस तरह की परिस्थितियों के लिए काउंसलर (counselor) तैयार होने में मदद करते हैं।
  • शादी को लेकर कई तरह की चिंता (tension) भी मन में घर कर जाती है कि पता नहीं शादी के बाद किस तरह का पार्टनर मिलेगा? उसका व्यवहार कैसा होगा? आखिर उसके साथ जिंदगी कैसे कट पाएगी? इन सभी तरह की शंकाओं से मुक्ति मिल जाती है, यदि शादी से पहले काउंसलिंग करवा ली जाए।

ज्वाइंट फैमिली में घर में ही होती रहती है काउंसिलिंग

हालांकि कई लोग शादी से पहले प्रोफेशनल काउंसिलिंग को एक गैरज़रूरी चीज़ और बाज़ार का खेल मानते हैं। उनके मुताबिक, भारतीय संयुक्त परिवारों में लड़के-लड़कियों के भीतर शादीशुदा ज़िंदगी के प्रति सहज ही ज़िम्मेदारियों का अहसास होने लगता है।

अगर भारतीय संस्कृति और परंपरा का पालन किया जाए, तो नए जोड़ों के लिए शादी के बाद आपसी अंडरस्टैंडिग कायम करना ज्यादा मुश्किल नहीं होता।

ज्यादातर ये समस्या आती है न्यूक्लियर फैमिली में पले-बढ़े बच्चों या फिर बचपन से ही माता-पिता के बीच समस्या देखते आए लड़के लड़कियों के बीच। आजकल लड़का और लड़की दोनों करियर-ओरिएंटेड होते हैं, इसलिए भी अक्सर दोनों के बीच तालमेल बनाने में दिक्कतें आती हैं।

बहरहाल, अगर लड़के-लड़कियों को परिवार में ही अगर सही माहौल और मार्गदर्शन मिल जाए, तो शायद उन्हें बाज़ारू काउंसिलिंग की ज़रूरत न पड़े।

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